Edited By Parveen Kumar,Updated: 20 Nov, 2025 11:50 PM

चीन दुनिया का पहला ऐसा तैरता हुआ आर्टिफिशियल आइलैंड तैयार कर रहा है, जो जरूरत पड़ने पर समुद्र में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकेगा। 78,000 टन वजनी यह विशाल प्लेटफॉर्म इतनी मजबूती से बनाया जा रहा है कि परमाणु धमाका भी इसे नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।
नेशनल डेस्क: चीन दुनिया का पहला ऐसा तैरता हुआ आर्टिफिशियल आइलैंड तैयार कर रहा है, जो जरूरत पड़ने पर समुद्र में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकेगा। 78,000 टन वजनी यह विशाल प्लेटफॉर्म इतनी मजबूती से बनाया जा रहा है कि परमाणु धमाका भी इसे नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा। आकार के मामले में यह चीन के नए फ़ुजियान एयरक्राफ्ट कैरियर जितना बड़ा होगा और 238 लोगों को चार महीने तक बिना किसी सप्लाई के अपने अंदर समाए रख सकता है।
2028 में लॉन्च होगा हाई-टेक फ्लोटिंग रिसर्च आइलैंड
इसका नाम है Deep-Sea All-Weather Resident Floating Research Facility। इसे चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना में एक राष्ट्रीय वैज्ञानिक परियोजना के रूप में शामिल किया गया है। डिजाइन पर शंघाई जियाओटोंग यूनिवर्सिटी (SJTU) और चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन मिलकर काम कर रहे हैं।
परमाणु धमाके से सुरक्षा की जरूरत क्यों पड़ी?
वैज्ञानिकों के अनुसार यह प्लेटफॉर्म हर मौसम में, महीनों तक समुद्र में रहकर काम करेगा। इसमें पावर सिस्टम, कम्युनिकेशन हब और नेविगेशन सेंटर जैसे अत्यंत संवेदनशील हिस्से हैं। इन्हें सुरक्षित रखने के लिए इसे न्यूक्लियर ब्लास्ट रेजिस्टेंट बनाया जा रहा है।
प्लेटफॉर्म का आकार और समुद्री ताकत
- लंबाई: 138 मीटर
- चौड़ाई: 85 मीटर
- मुख्य डेक समुद्र तल से 45 मीटर ऊपर
- ट्विन-हुल डिजाइन, जो 69 मीटर ऊंची लहरों में भी स्थिर रह सकता है
- अधिकतम गति: 15 नॉट्स
- कैटेगरी 17 के टाइफून भी झेल सकता है
नया मेटामटेरियल- झटका कम, सुरक्षा ज्यादा
न्यूक्लियर धमाकों से बचाव के लिए भारी स्टील प्लेटें लगाना आम तरीका है, लेकिन इस प्लेटफॉर्म को हल्का भी रखना था।
इसके लिए वैज्ञानिकों ने बनाया विशेष सैंडविच बल्खेड, जिसमें अनगिनत माइक्रो-मेटल ट्यूब्स की जाली होती है।
टेस्ट में 60 मिमी मोटा यह पैनल:
- 177 किलोपास्कल के धमाके को झेल गया
- शॉक वेव को 58% तक कम कर दिया
- संरचना पर तनाव 14% तक घटा दिया
यह प्रदर्शन भारी स्टील आर्मर से भी बेहतर पाया गया।
क्या सैन्य उपयोग के संकेत छिपे हैं?
हालांकि इसे “वैज्ञानिक शोध प्लेटफॉर्म” बताया जा रहा है, लेकिन इसका डिजाइन सैन्य न्यूक्लियर सुरक्षा मानकों पर आधारित है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में यह: कमांड सेंटर. निगरानी स्टेशन, लॉजिस्टिक हब