Exclusive Interview: बिहार के लिए काम करना ही मेरा लक्ष्य- चिराग पासवान

Updated: 03 May, 2025 03:24 PM

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चिराग पासवान से पंजाब केसरी / नवोदय टाइम्स के लिए अकु श्रीवास्तव ने की खास बातचीत। पेश हैं विशेष साक्षात्कार के मुख्य अंश...

चिराग पासवान से पंजाब केसरी / नवोदय टाइम्स के लिए अकु श्रीवास्तव ने की खास बातचीत। पेश हैं विशेष साक्षात्कार के मुख्य अंश...

सवाल: बिहार में का बा?
जवाब: सब ठीक बा। जिस तरीके से मौजूदा गठबंधन मजबूती के साथ आगे बढ़ने का काम कर रहा है। वह सब कुछ बता देता है। बिहार में चुनाव अब करीब हैं। मैं विश्वास के साथ कह रहा हूं कि एनडीए पूरी मजबूती के साथ ऐतिहासिक जीत की तरफ आगे बढ़ रहा है।

सवाल: ऐतिहासिक जीत की उम्मीद के पीछे जाति जनगणना कितनी अहम होगी? 
जवाब: वैसे मैं इस तरह के विषयों को राजनीति के साथ जोड़कर नहीं देखता। लेकिन, जब आप जनभावना का सम्मान करते हैं तो यकीनन जनता का साथ भी आपको मिलता है। राजनीतिक दृष्टि और चुनावी दृष्टि से देखें तो इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और लाभ होगा। राजनीतिक के साथ सामाजिक लाभ भी होगा। समावेशी विकास की बात हम लोग करते आए हैं। मेरे पिता राम विलास पासवान ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से 60 के दशक में राजनीति की शुरुआत की। जब 1969 में वह पहली बार विधायक बने तो उस पार्टी का एक नारा होता था, जिसे उन्होंने सदन में भी कई बार दोहराया। 1960 के दशक में मेरे पिता राम विलास पासवान लोहिया की सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बने। उनकी पार्टी का नारा था पिछड़ा पावे सौ में साठ। इस बात को चरितार्थ करने, धरातल पर उतारने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जातिगत जनगणना के फैसले को लेकर किया। मेरा मानना है कि इससे मेरे पिता भी खुश होंगे। साथ ही देश की वह बड़ी आबादी इस फैसले से खुश है, जो लंबे समय से इसका इंतजार कर रही थी। क्योंकि यह जनगणना आजादी के बाद से कभी हुई ही नहीं। जरूरी हो गया था कि इसे अब किया जाए।

सवाल: जाति जनगणना पर एनडीए का रुख पहले साफ नहीं था? 
जवाब: मुझे लगता है कि हर फैसले का उचित समय होता है और सही समय पर सही फैसले लिए जाने होते हैं। यह फैसला अचानक किया गया हो, ऐसा नहीं है। 1931 के बाद ऐसा नहीं हुआ है। लंबे समय से गठबंधन के भीतर इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी। चर्चा यह भी होती रही कि भाजपा का जातिगत जनगणना के प्रति समर्थन नहीं मिल रहा। भाजपा कभी इसके विरोध में नहीं थी। बिहार में तो सर्वे कराने के दौरान एनडीए गठबंधन के नेता इसके लिए लोगों के बीच भी गए। ताज्जुब है कि जो लोग इसका श्रेय लेने की होड़ में हैं। राहुल गांधी व विपक्ष के अन्य नेताओं को देखकर हैरत होती है। जबकि आजादी के बाद से सरकार किसकी थी। अखिलेश जब बोलते हैं तो यह सवाल बनता है कि आपने अपने समय में क्या किया, आप तो खुद मुख्यमंत्री थे। 

सवाल: आगे क्या रणनीति होगी आपकी? 
जवाब: यह फैसला देश की एक बड़ी आबादी की भावना को देखते हुए लिया गया है। कई ऐसी नीतियां बनाई जाती हैं, जो विशेष जाति को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जरूरी होती हैं। जब तक जाति जनगणना के आंकड़े नहीं होंगे तो उन्हें लाभ कैसे देंगे। जनता को पता है कि इस फैसले के पीछे पीएम मोदी हैं और उनको ही इसका श्रेय जाता है। यह विषय मैं निरंतर रूप से पीएम मोदी के समक्ष रखता रहा। जब प्रधानमंत्री को लगा कि यह फैसला लेने का सही समय है तो उन्होंने यह फैसला लिया। इसका पूरा श्रेय केवल पीएम मोदी को जाता है।
 

सवाल: जाति जनगणना पर राहुल गांधी तमाम शर्तें गिनाने की कोशिश कर रहे हैं, आपकी क्या स्ट्रेटजी होगी? 
जवाब: राहुल गांधी को अब सब जानना है। मोदी सरकार हर काम पुख्ता तरीके से करती है। जाति जनगणना का पूरा रोडमैप सभी के सामने रखा जाएगा। काफी काम हो चुका है, काफी होना बाकी है। इसको टाइम बाउंड रखा जाएगा। इसका अहम पहलू समाज को मजबूत करना भी है। प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग भी है हम लोगों की। कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां अब तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है, उनको लाभ दिलाना है।


सवाल: महिलाओं, दलितों को बड़ा हिस्सा मिलने की संभावना है, आप कैसे अपने वोट बैंक को आगे बढ़ाने की सोचेंगे? 
जवाब: मैं बहुत अधिक जात-पात में विश्वास नहीं रखता हूं। लेकिन, जिस राज्य से मैं आता हूं वहां की राजनीति जाति के हिसाब से होती है। दलितों को घोड़ी पर चढ़ने से रोका जाता है। देश व समाज के विकास में सभी की भागीदारी हो, इसके लिए यह पता होना जरूरी है कि कौन कहां है। जब आरक्षण की बात होती है तो बड़ी जातियां उसका अधिक लाभ ले जाती हैं। लाभ में सबका समावेश हो, यह जरूरी है। वोट बैंक की राजनीति तो कभी सोची ही नहीं।
 

सवाल: नीतियां तो बनती रहीं, लेकिन लाभ किसको कितना मिला? 
जवाब: मैं बाकी सरकारों की बात नहीं करूंगा, बाकी सरकारों ने किस सोच के साथ किसको कितना लाभ दिया। किस तरह से नीतियों का निर्माण किया और किसको लाभ दिया। अपनी सरकार की बात करूं, तो पिछले ग्यारह साल से एनडीए सरकार गरीब कल्याण के लिए व्यापक स्तर पर काम कर रही है। टॉयलेट योजना व उज्ज्वला योजना का लाभ हर उस महिला को मिल रहा है जो गांव में रह रही है। अंतिम पंक्ति की महिलाओं तक को लाभ मिला है। इसी तरह से आयुष्मान योजना, देश ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी प्रधानमंत्री जन कल्याण अन्न योजना का लाभ पूरे देश को मिल रहा है। अन्न योजना का श्रेय तो मैं अपने पिता रामविलास पासवान को भी देता हूं, जब वो खाद्य मंत्री थे तो उन्होंने कोविड काल में लोगों तक भोजन पहुंचाया और आज भी देश के अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। देश में ऐसे लोगों को आर्थिक मजबूती मिली है।
 

सवाल: बिहारी प्रथम और बिहार प्रथम, नारा अब कितना काम कर रहा है? 
जवाब: लोगों में अब भी यह कारगर है, लेकिन यह और मजबूती से काम करे इसके लिए जल्द बिहार वापस जाना चाहता हूं मैं। मेरा राजनीति में आने का कारण भी यही रहा, मैंने इसी सोच के साथ काम किया। अब बिहारी जो दूसरे राज्यों अथवा दूसरे देशों में हैं, उनकी पीड़ा को मैंने देखा है। क्योंकि राज्य में उतना विकास, ईको सिस्टम पर काम नहीं हुआ। आज भी मेरे बच्चे कोटा जाते हैं पढ़ने के लिए। वहां पढ़ाने वाले टीचर बिहारी, पढ़ने वाले छात्र बिहारी और अधिकांश शैक्षणिक संस्थान भी बिहार के लोगों के हैं, लेकिन व्यवस्था राजस्थानी। यह व्यवस्था बिहार के अलग-अलग जिलों में हो सकती है। लेकिन, इसको सही तरह से अपनाने और अनुपालन कराने के लिए बिहार में ही रहना होगा।
 

सवाल: लोग कह रहे हैं कि चिराग पासवान बिहार के लिए कब काम करेंगे? 
जवाब:यह एक विडंबना ही रही कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) बेहद छोटा समय छोड़कर कभी राज्य सरकार का हिस्सा अलग-अलग कारणों से बन ही नहीं पाई। आज की तारीख में मैं केंद्र सरकार में हूं, लेकिन बिहार में सरकार का समर्थन कर रहा हूं, सरकार का हिस्सा नहीं हूं। निर्णय लेने वाले हिस्से में मैं शामिल नहीं हूं। ऐसे में अपने आप को उस भूमिका में अवश्य देखना चाहता हूं जिसमें सरकारी एजेंडे का हिस्सा, बिहारी प्रथम और बिहार फर्स्ट बने। और जिस विकसित भारत की कल्पना प्रधानमंत्री मोदी करते हैं वो भी पूरा होगा, जब बिहार विकसित होगा।

सवाल: पार्टी का अखिल भारतीय एक्सटेंशन मोड है क्या? 
जवाब: मुझे खुशी है कि पार्टी ने पिछले वर्षों में अपने दायरे को बढ़ाया है और हम लोगों ने नाॅर्थ ईस्टर्न स्टेट्स तक पैनिट्रेट किया। आज की तारीख में मेरे दो विधायक नगालैंड में हैं। कई बार हम लोगों ने झारखंड में चुनाव लड़ा, असफल हुए। लेकिन, पिछले चुनाव में हमारे एक विधायक झारखंड से भी जीतकर आए हैं। धीरे-धीरे पार्टी ने विस्तार किया है। आने वाले दिनों में पार्टी का और विस्तार खासतौर पर उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में किया जाएगा।


सवाल: सबको साथ लेकर चलने पर होगा हर वर्ग का विकास 
जवाब: दलितों को लेकर बिहार में महादलित और कई तरह की राजनीति हुई, आपने कैसे इनको अपने पक्ष में किया?
यह एक मानसिक सोच है और कुछ नहीं। जब आप इस सोच को बदलते हैं तो धीरे-धीरे चीजें अपने आप बदलने लगती हैं। पहली बात यह है कि दलित और महादलित इन चीजों को मैं मानता ही नहीं। अनुसूचित जाति जो संविधान टर्मनोलॉजी में अंकित है, इसमें उनको रखा गया है जिनका आधार छुआछूत रहा है। जिनके साथ भेदभाव हुआ। राजनीतिक दृष्टि से लाभ पाने के लिए उन्हें भी अलग-अलग बांटने का काम किया गया। लेकिन, सबको साथ में लेकर आगे बढ़ेंगे तभी उस वर्ग का विकास हो सकता है और मैं यही कर रहा हूं। मैं चाहता हूं कि बिहार में चौदह करोड़ बिहारियों की बात हो, जब मैं राजनीति में आया तो मुझे मुसलमान, ब्राह्मण समेत अन्य वर्ग के लोग मिलते थे, लेकिन बिहारी नहीं मिलता था। मैं चाहता हूं कि इसमें बदलाव हो।

सवाल: जातियों के जाल से अछूते आप भी नहीं हैं, क्या निकट भविष्य में बिना जातियों के आधार पर भी बात हो सकती है? 
जवाब: इसके लिए सबका विश्वास जरूरी है। इसी ध्येय पर मेरी सरकार काम भी कर रही है, सबका साथ-सबका विश्वास। लेकिन, कई राजनीतिक दल हैं जो धर्म, जाति के नाम पर बांटने की राजनीति करते हैं। राष्ट्रीय जनता दल बड़ी मजबूती से इसका प्रचार भी करता है। जरूरी है कि लोगों का विश्वास जीता जाए।


मां के साथ खूब करता हूं गपशप
सवाल: मन किसके साथ हल्का करते हैं, गपशप की फुर्सत मिलती है क्या? 

जवाब: मां मेरी सबसे अच्छी मित्र हैं। उनके साथ मैं काफी समय बिताता हूं, उनसे बहुत सी चैट करता हूं। उनसे पुरानी चीजें सुनता हूं, अपने बारे में बताता हूं। उनसे काफी सारी ऊर्जा मिलती है। मैं किचन में बहुत कुछ नहीं बना पाता हूं। मेरे पिता काफी कुछ बना लेते थे और उन्हें खिलाने का बेहद शौक था। मैं इस मामले में कमजोर हूं।
परफॉर्मिंग आर्ट हर आदमी को आनी चाहिए, आपकी क्या राय है? 
मैं मानता हूं कि आपको थोड़ी बहुत जानकारी चीजों की होनी चाहिए। मैं संगीत में दिलचस्पी रखता हूं, फिल्मों से जुड़ा रहा हूं। कोशिश करता हूं कि टच मेंटेन करके रखूं, जब भी अवसर मिलता है तो ओटीटी पर सीरीज देखता हूं। इससे माइंड भी रिफ्रेश होता है। मैं फिटनेस पर पूरा ध्यान देता हूं। नियमित रूप से साइकिल चलाता हूं, स्वीमिंग करता हूं।

मैं जो कुछ हूं, वह सब मेरे पिता रामविलास की ही देन है
सवाल: रामविलास पासवान ने 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया, पिता से आपने क्या-क्या सीखा है?

जवाब: जिन्होंने देश के 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया, उनके अनुभव का दायरा कितना बड़ा होगा। मेरे आदर्श हैं मेरे पिता। जो कुछ मेरे भीतर है, उनका ही दिया हुआ है। लेकिन, यही सवाल मेरे पिता से पूछते तो उनका जवाब होता कि मछली के बच्चे को तैरना नहीं सिखाया जाता।

सवाल: खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय में किस तरह से काम चल रहा है? 
जवाब: यह मंत्रालय सबसे अधिक महत्वपूर्ण है लेकिन, सबसे अधिक अनदेखा रहा है। जितनी संभावना है। उसमें काफी कुछ करना बाकी है। प्रधानमंत्री की सोच है कि भारत को एक ग्लोबल फूड बास्केट के तौर पर दुनिया में पेश किया जाए, यह हमारा सामर्थ्य है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। हम न केवल अपने देश बल्कि विदेशों में भी उन देशों की खाद्य आपूर्ति कर सकते हैं जहां पर खाद्य पदार्थों की अभी कमी हो। कई देशों के साथ फूड सिक्योरिटी सिस्टम कॉरिडोर भी तैयार किया जा रहा है, हमारी बातचीत चल रही है। ऐसा खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से संभव होगा। विदेश से भी देश और बिहार में निवेश कराया। खाद्य प्रसंस्करण के साथ लोग स्किल्ड होकर जुड़ना चाहते हैं। अभी तक केवल दो ही ऐसे संस्थान हैं, तीसरा संस्थान बिहार में खुलने जा रहा है। 

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