Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 27 Jul, 2025 09:29 AM

जब भी भारतीय रेलवे स्टेशनों की बात होती है, अक्सर एक ही बात सुनने को मिलती है – "यहाँ बहुत गंदगी है"। सोशल मीडिया से लेकर टीवी डिबेट तक, भारत के रेलवे स्टेशनों को गंदे और अव्यवस्थित बताया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया के विकसित...
नेशनल डेस्क: जब भी भारतीय रेलवे स्टेशनों की बात होती है, अक्सर एक ही बात सुनने को मिलती है – "यहाँ बहुत गंदगी है"। सोशल मीडिया से लेकर टीवी डिबेट तक, भारत के रेलवे स्टेशनों को गंदे और अव्यवस्थित बताया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया के विकसित देशों में हालात कैसे हैं? आइए नजर डालते हैं अमेरिका के सबसे बड़े और माने जाने वाले ट्रांज़िट सिस्टम – न्यूयॉर्क के सबवे पर, जिसे देखकर भारतीय स्टेशनों की स्थिति आपको बेहतर लगने लगेगी।
न्यूयॉर्क सबवे: आधुनिकता के पीछे छिपी अव्यवस्था
न्यूयॉर्क का मेट्रो सिस्टम दुनिया का सबसे पुराना और सबसे व्यस्त सबवे नेटवर्क है, जहाँ रोजाना लाखों लोग सफर करते हैं। लेकिन इसकी हालत देखकर कोई भी हैरान रह सकता है। स्टेशन के कोनों में फैली पेशाब की दुर्गंध आम बात हो गई है, जो वहां के यात्रियों के लिए रोजमर्रा की परेशानी बन चुकी है। दीवारों और सीढ़ियों पर वर्षों से जमी गंदगी की परतें साफ-सफाई की बदहाल स्थिति को उजागर करती हैं। बिखरी हुई सुइयाँ न सिर्फ सफाई व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं बल्कि नशाखोरी की गंभीर सामाजिक समस्या को भी सामने लाती हैं। इतना ही नहीं, कई स्टेशनों पर बेघर लोगों ने डेरा जमा लिया है, जिससे सफाई बनाए रखना और अधिक मुश्किल हो गया है। इन सब हालात को देखकर यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या गंदगी सिर्फ भारतीय रेलवे स्टेशनों की ही समस्या है, या फिर विकसित कहे जाने वाले देशों के ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी कम गंभीर नहीं हैं?
भारतीय रेलवे स्टेशन: चुनौतियों के बावजूद सुधार की कोशिशें
भारत के रेलवे स्टेशनों पर भीड़भाड़, कचरा और अव्यवस्था जैसी समस्याएँ लंबे समय से देखी जाती रही हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हालात में सकारात्मक बदलाव भी आए हैं। स्वच्छ भारत अभियान के तहत कई स्टेशनों की सफाई व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। बड़े और व्यस्त स्टेशनों पर अब बायो टॉयलेट्स, जगह-जगह डस्टबिन और मशीनों से सफाई करने जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाया जा रहा है, जिससे यात्रियों को अधिक स्वच्छ वातावरण मिल सके। इसके अलावा, आईआरसीटीसी की ओर से स्टेशन परिसर में खानपान की गुणवत्ता के साथ-साथ सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के प्रयास किए गए हैं। आज इंदौर, गांधीनगर और विशाखापट्टनम जैसे कई रेलवे स्टेशन देश के सबसे साफ स्टेशनों में गिने जाते हैं, जो यह दर्शाते हैं कि भारत भी साफ-सफाई के मामले में आगे बढ़ रहा है और सुधार की दिशा में गंभीर प्रयास कर रहा है।
विकसित देश = साफ-सुथरा? यह भ्रम भी टूटता है
अक्सर यह धारणा बनी रहती है कि पश्चिमी देश, विशेषकर अमेरिका, साफ-सफाई के आदर्श उदाहरण होते हैं। लेकिन न्यूयॉर्क के सबवे की वास्तविकता इस सोच को पूरी तरह से झुठला देती है। वहाँ की गंदगी अब सिर्फ एक स्वच्छता की समस्या नहीं, बल्कि असुरक्षा और अव्यवस्था का प्रतीक बन चुकी है। यात्रियों को ट्रेन का इंतजार करते समय ही तीखी बदबू का सामना करना पड़ता है, जो वातावरण को बेहद असहज बना देती है। सबवे स्टेशनों पर मौजूद अस्वच्छ बाथरूम, खुलेआम भिक्षावृत्ति और मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों की उपस्थिति मिलकर यात्रा को एक डरावना और असुरक्षित अनुभव बना देते हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि विकसित देशों में भी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था कई गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है।