Edited By Tanuja,Updated: 01 Dec, 2025 01:19 PM

भारत ने चक्रवात ‘दित्वा’ से तबाह श्रीलंका में फंसे अपने सभी नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाल लिया। अंतिम समूह के 104 भारतीय आईएएफ विमान से तिरुवनंतपुरम पहुंचे। भारत ने राहत कार्य तेज करते हुए एनडीआरएफ, हेलीकॉप्टर और HADR टीमों को कई प्रभावित क्षेत्रों...
International Desk: भारत ने श्रीलंका में चक्रवात ‘दित्वा' के कारण मची तबाही के बाद कोलंबो में बचाव अभियान में तेजी लाते हुए वहां फंसे भारतीय नागरिकों के आखिरी समूह को सोमवार को निकाल लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि भंडारनायके अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर फंसे 104 भारतीयों का आखिरी समूह ‘ऑपरेशन सागर बंधु' के तहत भारतीय वायु सेना के विमान से सुबह करीब साढ़े छह बजे तिरुवनंतपुरम पहुंचा।
उच्चायोग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि श्रीलंका के बचाव प्रयासों में भारत ने अपनी मदद तेज कर दी है और अभियान का विस्तार कई प्रभावित क्षेत्रों तक किया है। विज्ञप्ति के अनुसार चेतक हेलीकॉप्टर ने कई लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जबकि वायु सेना के कई हेलीकॉप्टर ने कोटमाले में तलाश अभियान संचालित किया जो सबसे ज्यादा प्रभावित मध्य पर्वतीय क्षेत्र है तथा भूस्खलन एवं बाढ़ के कारण यहां सड़क संपर्क टूट गया है। विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘ खोज एवं बचाव अभियानों के लिए भारत की विशेषीकृत आपदा प्रतिक्रिया एजेंसी एनडीआरएफ और एचएडीआर (मानवीय सहायता और आपदा राहत) की टीम कल कोलंबो पहुंची। उन्होंने श्रीलंका के अधिकारियों के साथ मिलकर कोच्चिकाडे में बचाव अभियान संचालित किया।''
विज्ञप्ति के अनुसार, एनडीआरएफ की टीम अब पुट्टलम और बादुल्ला इलाकों में काम कर रही हैं जो चक्रवात से बुरी तरह प्रभावित हैं और संपर्क से कट गए हैं। एनडीआरएफ ने कहा, ‘‘एनडीआरएफ ने बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित परिवारों की मदद की और उनकी तुरंत सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद की।'' इस बीच, श्रीलंका की वायु सेना ने एक पायलट की मौत की पुष्टि की है। उत्तर-पश्चिमी तट पर वेन्नापुवा में राहत सामग्री पहुंचाने की कोशिश करते समय एक बेल 212 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। श्रीलंका में चक्रवात ‘दित्वा' के कारण मची तबाही में रविवार तक 334 लोग मारे गए हैं और 370 से अधिक व्यक्ति लापता हैं तथा बाढ़ एवं भूस्खलन की वजह से कई जिले अलग थलग पड़ गए हैं।