Edited By Anu Malhotra,Updated: 07 Jun, 2025 10:09 PM

बढ़ती तकनीकी लड़ाइयों और ड्रोन हमलों के दौर में, ताइवान ने अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए भारत के स्वदेशी विकसित डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम में गहरी रुचि दिखाई है। यह अत्याधुनिक प्रणाली, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स...
नेशनल डेस्क: बढ़ती तकनीकी लड़ाइयों और ड्रोन हमलों के दौर में, ताइवान ने अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए भारत के स्वदेशी विकसित डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम में गहरी रुचि दिखाई है। यह अत्याधुनिक प्रणाली, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने मिलकर तैयार किया है, क्षेत्रीय तनाव के बीच ताइवान के लिए एक मजबूत काउंटर-ड्रोन सुरक्षा कवच साबित हो सकती है।
ताइवान की भारत पर बढ़ती निर्भरता
चीन की सैन्य चालों और बढ़ती ड्रोन गतिविधियों से निपटने के लिए ताइवान ने भारत के साथ रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की पहल की है। DRDO के अधिकारियों के अनुसार, ताइवान का डी4 सिस्टम खरीदने का अनुरोध इसके वैश्विक स्तर पर बढ़ते सम्मान को दर्शाता है। यह सौदा दोनों देशों के बीच हाईटेक रक्षा सहयोग का द्वार खोल सकता है, जिसमें भविष्य में उन्नत काउंटर-ड्रोन तकनीकों का संयुक्त विकास भी शामिल होगा।
ऑपरेशन सिंदूर में दिखाया कमाल
भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान ऑपरेशन सिंदूर में इस डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम ने तुर्की के उन्नत ड्रोन जैसे बयारकतार टीबी-2 को बेअसर कर वैश्विक स्तर पर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था। यह प्रणाली इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग, जीपीएस स्पूफिंग जैसी सॉफ्ट किल तकनीकों के साथ-साथ लेजर आधारित हार्ड किल हथियारों का इस्तेमाल कर दुश्मन के ड्रोन को नाकारा बना देती है।
भारत-ताइवान सहयोग से बढ़ेगा क्षेत्रीय सुरक्षा परदा
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रामकता को देखते हुए, ताइवान के लिए भारत की यह रणनीतिक तकनीक एक महत्वपूर्ण हथियार साबित होगी। इस साझेदारी से क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में भी बदलाव आने की संभावना है, जो चीन के लिए एक चुनौती बन सकती है।
भारत का डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम न सिर्फ एक तकनीकी चमत्कार है, बल्कि यह क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनकर उभर रहा है।