चीन के ‘जस्टिस मिशन-2025’ से बढ़ा जंग का खतरा ! ताइवान बोला-हमारी सेनाएं भी तैयार, “रैपिड रिस्पॉन्स एक्सरसाइज” शुरू

Edited By Updated: 29 Dec, 2025 03:36 PM

taiwan condemns china smilitary drill around island puts forces on high alert

अमेरिका द्वारा ताइवान को 10 अरब डॉलर से अधिक के हथियार पैकेज की मंजूरी के बाद चीन ने ताइवान के चारों ओर व्यापक सैन्य अभ्यास शुरू कर दिए हैं। “जस्टिस मिशन-2025” नामक इन युद्धाभ्यासों को ताइवान ने उकसावा बताया है और अपनी सेना को हाई अलर्ट पर रखा है।

International Desk: अमेरिका द्वारा ताइवान को 10 अरब डॉलर से अधिक के बड़े हथियार पैकेज की मंजूरी दिए जाने के बाद चीन ने ताइवान के चारों ओर व्यापक सैन्य युद्धाभ्यास शुरू कर दिए हैं। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने थल, जल, वायु और रॉकेट बलों की संयुक्त तैनाती के साथ इन अभ्यासों को अंजाम देना शुरू किया है। चीन के पूर्वी थिएटर कमांड ने इन सैन्य अभ्यासों को “जस्टिस मिशन-2025” नाम दिया है। कमांड के अनुसार, इनका उद्देश्य ताइवान की स्वतंत्रता की किसी भी कोशिश और “बाहरी शक्तियों के हस्तक्षेप” के खिलाफ गंभीर चेतावनी देना है।

 

इन अभ्यासों के तहत युद्ध-तैयारी, प्रमुख बंदरगाहों की नाकेबंदी, अहम समुद्री मार्गों पर नियंत्रण और रणनीतिक इलाकों को घेरने की क्षमताओं की जांच की जा रही है। मंगलवार को ताइवान के चारों ओर पांच समुद्री और हवाई क्षेत्रों में लाइव-फायर ड्रिल भी की जाएगी। इस पर ताइवान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने चीन की कार्रवाई को “अतार्किक उकसावा और सैन्य धमकी” बताते हुए कहा कि उसकी सेनाएं हाई अलर्ट पर हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि “रैपिड रिस्पॉन्स एक्सरसाइज” शुरू कर दी गई हैं और ताइवान अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था, स्वतंत्रता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।

 

ताइवान के अनुसार, सोमवार सुबह ताइवान जलडमरूमध्य और आसपास के क्षेत्रों में चीन के दो सैन्य विमान, नौ नौसैनिक जहाज और दो सरकारी पोत देखे गए। स्थिति पर नजर रखने के लिए ताइवान ने अपने लड़ाकू विमान, युद्धपोत और तट आधारित मिसाइल प्रणालियां तैनात कर दी हैं। उधर, चीन ने अमेरिका से ताइवान को हथियार सप्लाई “तुरंत बंद” करने की मांग की है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि यह हथियार सौदा चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है।

 

विशेषज्ञों का मानना है कि “जस्टिस मिशन-2025” केवल सैन्य अभ्यास नहीं, बल्कि अमेरिका, ताइवान और पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए एक मजबूत राजनीतिक और रणनीतिक संदेश है। इससे क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। गौरतलब है कि चीन “वन चाइना” नीति के तहत ताइवान को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है और पुनःएकीकरण पर जोर देता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक इकाई मानते हुए चीन के दावों को खारिज करता रहा है।
 

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