वायनाड भूस्खलन में मृतकों की संख्या 190 हुई, करीब 200 लोग अब भी लापता

Edited By Updated: 02 Aug, 2024 12:48 AM

death toll in wayanad landslide rises to 190

केरल के वायनाड में दो दिन पहले हुए भूस्खलन में मृतकों की संख्या बढ़कर 190 हो गई है जबकि करीब 200 लोग अब भी लापता हैं। राज्य के राजस्व मंत्री के. राजन ने बृहस्पतिवार शाम को यह जानकारी दी।

नेशनल डेस्क : केरल के वायनाड में दो दिन पहले हुए भूस्खलन में मृतकों की संख्या बढ़कर 190 हो गई है जबकि करीब 200 लोग अब भी लापता हैं। राज्य के राजस्व मंत्री के. राजन ने बृहस्पतिवार शाम को यह जानकारी दी। वहीं, अपुष्ट खबरों में मृतकों की संख्या 276 होने की जानकारी आ रही है। राजन ने बताया कि वायनाड जिला प्रशासन के मुताबिक मृतकों में 27 बच्चे और 76 महिलाएं शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 225 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें से अधिकतर मुंडक्कई और चूरलमाला के सबसे अधिक प्रभावित इलाकों से हैं। मंत्री ने कहा कि बचाव कार्य के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिनमें नष्ट हो चुकी सड़कें और पुलों के कारण खतरनाक भूभाग, तथा भारी उपकरणों की कमी शामिल है।

उन्होंने कहा कि इसकी वजह से आपात स्थिति कर्मियों के लिए कीचड़ और उखड़े हुए विशाल पेड़ों को हटाना कठिन हो गया है, जो घरों और अन्य इमारतों पर गिर गए हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र में बचाव कार्यों का समन्वय कर रहे राजन ने बताया कि विभिन्न एजेंसियों और सशस्त्र बलों के 1,300 कर्मियों ने भारी मशीनरी की मदद के बिना, बारिश, हवा और कठिन भूभाग का सामना करते हुए क्षेत्र में संयुक्त खोज और बचाव अभियान चलाया। राजन के मुताबिक, जिले के 9,328 लोगों को 91 राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया है। उन्होंने बताया कि इनमें से चूरलमाला और मेप्पाडी में भूस्खलन के कारण विस्थापित हुए 578 परिवारों के 2,328 लोगों को नौ राहत शिविरों में पहुंचाया गया है।

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाद्रा समेत कई नेताओं ने विस्थापित लोगों से मुलाकात की और उनके साथ एकजुटता व्यक्त की। विजयन ने यहां सर्वदलीय बैठक के बाद कहा,‘‘पहली प्राथमिकता वायनाड त्रासदी के पीड़ितों को बचाना है।'' विजयन ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि लापता व्यक्तियों के शवों को बरामद करने के लिए आपदा प्रभावित क्षेत्र और नदी में खोज जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि सेना द्वारा चूरलमाला और मुंडक्कई के बीच बनाए जा रहे बेली ब्रिज के पूरा होने से बचाव कार्यों के लिए आवश्यक उपकरण आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाए जा सकेंगे। राजन ने कहा कि अधिकारियों ने अभी तक लापता लोगों की संख्या स्पष्ट नहीं हो सकी है।

उन्होंने कहा, ‘‘शुरू में हमने लापता लोगों की पहचान के लिए मतदाता सूची का इस्तेमाल किया। लेकिन चूंकि इसमें बच्चों का विवरण नहीं है, इसलिए अब हम राशन कार्ड और अन्य विवरणों पर निर्भर हैं। हम राशन कार्ड के विवरण की जांच करके और आशा कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से लापता लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं।'' राजन ने कहा कि मुंडक्कई में बचाव अभियान का पैमाना बहुत बड़ा है, क्योंकि इस तरह की घटनाओं के विपरीत, जहां क्षतिग्रस्त क्षेत्र आमतौर पर एक-दो किलोमीटर तक सीमित होता है, इस मामले में नष्ट हुआ क्षेत्र बहुत बड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘अब बेली ब्रिज बन चुका है और हम खोज एवं बचाव कार्यों में सहायता के लिए भारी मशीनरी भेजने में सक्षम हैं।'' भारतीय सेना के मद्रास इंजीनियरिंग कोर ने बृहस्पतिवार को 190 फुट लंबे बेली ब्रिज का निर्माण पूरा कर लिया, जो मुंडक्कई और चूरलमाला के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों को जोड़ने में मदद करेगा। स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात काम कर रहे हैं, तथा गंभीर रूप से घायल लोगों को महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवा प्रदान करने के साथ-साथ क्षत-विक्षत शवों का पोस्टमार्टम करने की चुनौती से जूझ रहे हैं।

इस बीच, मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में बताया कि मलाप्पुरम से होकर बहने वाली चलियार नदी के हिस्से से मिले 143 शव और मानव शरीर के अंगों को वायनाड लाया गया है। बयान के मुताबिक, अब तक मलप्पुरम जिले से 58 शव और 95 मानव शरीर के अंग बरामद किए गए हैं। वायनाड जिला प्रशासन ने एक बयान में कहा कि 190 मृतकों में 27 बच्चे और 76 महिलाएं शामिल हैं। उसने यह भी बताया कि कि मानव शरीर के अंगों सहित 279 पोस्टमॉर्टम पूरे हो चुके हैं और 107 शवों की पहचान हो चुकी है। जिला प्रशासन के मुताबिक, अब तक मलबे के नीचे से मानव शरीर के 100 अंग बरामद किए गए हैं। 

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