Edited By Radhika,Updated: 01 Nov, 2025 01:36 PM

देश की राजधानी दिल्ली हवा को लेकर एक डरावनी खबर सामने आई है। इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) की एक नई रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि साल 2023 में, दिल्ली में 17,188 लोगों की मौतें सीधे तौर पर वायु प्रदूषण के कारण हुईं। इसका साफ...
नेशनल डेस्क: देश की राजधानी दिल्ली हवा को लेकर एक डरावनी खबर सामने आई है। इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) की एक नई रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि साल 2023 में, दिल्ली में 17,188 लोगों की मौतें सीधे तौर पर वायु प्रदूषण के कारण हुईं। इसका साफ मतलब है कि दिल्ली में होने वाली हर सात में से एक मौत के पीछे प्रदूषण का हाथ रहा।
PM2.5 है मौतों का सबसे बड़ा कारण
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के विश्लेषण के अनुसार 2023 में दिल्ली में कुल मौतों में से लगभग 15% मौतें अकेले प्रदूषण के कारण हुईं। रिपोर्ट बताती है कि हवा में मौजूद महीन प्रदूषक कण, जिन्हें पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) कहा जाता है, अब भी दिल्ली में मौतों का सबसे बड़ा कारण बने हुए हैं।

हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से भी ज्यादा जानलेवा
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि दिल्ली की खराब हवा अब पारंपरिक स्वास्थ्य जोखिमों से भी कहीं ज़्यादा ख़तरनाक साबित हो रही है। प्रदूषण ने हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे जोखिमों को भी पीछे छोड़ दिया है।
2023 में दिल्ली में मौतों के प्रमुख कारण:
सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट (Public Health Crisis)
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली की हवा WHO के मानकों से लगातार कई गुना अधिक जहरीली बनी हुई है। प्रदूषण के इस स्तर के कारण फेफड़ों की बीमारियाँ, हृदय रोग, स्ट्रोक और बच्चों में अस्थमा के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। CREA की रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि प्रदूषण अब केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है।

आगे क्या करने की ज़रूरत?
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर दिल्ली को इस खतरे से बचाना है, तो सरकार को विज्ञान-आधारित ठोस नीतियों और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। इसमें औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण, वाहनों के धुएं पर सख्ती और ग्रीन ज़ोन को बढ़ाने जैसे उपाय शामिल होने चाहिए। यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा और भी भयावह हो सकता है।