Edited By Mehak,Updated: 23 Jul, 2025 06:13 PM

भारत में धार्मिक मान्यताएं हमारी जिंदगी के हर पहलू से जुड़ी हुई हैं। घर बनाने से लेकर बच्चे के जन्म और नामकरण तक हर काम में धर्म की झलक मिलती है। इन्हीं मान्यताओं में से एक है गर्भवती महिलाओं और सूर्य ग्रहण से जुड़ी मान्यता, जिसमें कहा जाता है कि...
नेशनल डेस्क : भारत में धार्मिक मान्यताएं हमारी जिंदगी के हर पहलू से जुड़ी हुई हैं। घर बनाने से लेकर बच्चे के जन्म और नामकरण तक हर काम में धर्म की झलक मिलती है। इन्हीं मान्यताओं में से एक है गर्भवती महिलाओं और सूर्य ग्रहण से जुड़ी मान्यता, जिसमें कहा जाता है कि ग्रहण के समय अगर प्रेग्नेंट महिला बाहर जाती है या ग्रहण देखती है, तो बच्चे पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। लेकिन क्या साइंस भी यही कहता है? आइए जानते हैं।
धार्मिक मान्यता क्या कहती है?
भारतीय धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ग्रहण को राहु-केतु का प्रभाव माना गया है। सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण को अशुभ समय माना जाता है। इस दौरान –
- भोजन करने की मनाही होती है
- बाहर निकलने से रोका जाता है
- ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करने की सलाह दी जाती है
गर्भवती महिलाओं के लिए खासतौर पर कहा जाता है कि ग्रहण की छाया गर्भस्थ शिशु पर नहीं पड़नी चाहिए। कुछ मान्यताओं में तो यहां तक कहा गया है कि अगर प्रेग्नेंट महिला ग्रहण देख ले तो बच्चे में जन्मजात दोष हो सकते हैं। मैक्सिको और अन्य सभ्यताओं में भी यह माना जाता है कि ग्रहण देखने से भ्रूण के चेहरे में विकृति आ सकती है। यानी यह विश्वास सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई पुरानी सभ्यताओं में पाया जाता है।
साइंस क्या कहता है?
सर गंगाराम अस्पताल की सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. साक्षी नायर इस मान्यता को पूरी तरह मिथक बताती हैं। उनका कहना है –
- ग्रहण का गर्भवती महिला या बच्चे पर कोई वैज्ञानिक असर नहीं पड़ता।
- किसी भी प्रकार का ग्रहण शारीरिक या मानसिक नुकसान नहीं पहुंचाता।
- यह सिर्फ एक अफवाह है जो पीढ़ियों से चलती आ रही है।
हां, ग्रहण के दौरान जो आम लोगों को हल्की परेशानी जैसे थकावट, सिरदर्द या घबराहट हो सकती है, वही प्रेग्नेंट महिला को भी हो सकती है। लेकिन यह सीधे तौर पर शिशु को नुकसान नहीं पहुंचाती।