Edited By Mehak,Updated: 18 Oct, 2025 12:56 PM

धनतेरस 2025 आज मनाया जा रहा है। इस दिन सोना-चांदी, बर्तन और वाहन खरीदना शुभ माना जाता है। साथ ही मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन 13 दीपक जलाना बहुत खास परंपरा है, जो यम देवता से जुड़ी है...
नेशनल डेस्क : आज पूरे देश में धूमधाम से धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस आता है। यह दिन सोना-चांदी, झाड़ू, बर्तन और वाहन खरीदने के लिए शुभ माना जाता है। साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान भी है। इसे इसलिए धन त्रयोदशी भी कहा जाता है।
धनतेरस पर 13 दीपक जलाने की परंपरा
ज्योतिषियों के अनुसार, धनतेरस पर 13 दीपक जलाना बेहद खास माना जाता है। इन 13 दीपकों का संबंध यम देवता से है, जिन्हें मृत्यु का देवता माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन 13 दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय कम होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
13 दीपकों की दिशा और अर्थ
पहला दीया: मुख्य द्वार के पास कूड़ेदान के पास, दक्षिण दिशा की ओर। यम देवता की दिशा में चौमुखी सरसों तेल का दीया।
दूसरा दीया: देवी-देवताओं और पूजा घर के सामने। घी और केसर से जलाएं।
तीसरा दीया: मुख्य द्वार पर, घर में सकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से रक्षा करता है।
चौथा दीया: तुलसी के पौधे के पास। सुख, समृद्धि और मां लक्ष्मी की कृपा बनाए रखता है।
पांचवां दीया: घर की छत पर, वास्तु दोष दूर करता है।
छठा दीया: पीपल के पेड़ के नीचे, सरसों तेल का दीया। सेहत और आर्थिक स्थिति के लिए शुभ।
सातवां दीया: आस्था और भक्ति के प्रतीक के रूप में।
आठवां दीया: घर के स्टोर रूम में, दरिद्रता दूर करने वाला उपाय।
नौवां दीया: बाथरूम के बाहर, घर की सुरक्षा के लिए।
दसवां दीया: आंगन में जलाएं, नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
ग्यारहवां दीया: घर के ऊंचाई वाले स्थान पर।
बारहवां दीया: बेल के वृक्ष के नीचे, घर में सुख-समृद्धि लाता है।
तेरहवां दीया: गली या चौराहे पर, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा फैलाने के लिए।