Edited By Anu Malhotra,Updated: 02 Aug, 2025 10:50 AM

मध्य प्रदेश के दतिया जिले में अब सरकारी विभागों को बिजली उपयोग से पहले भुगतान करना अनिवार्य कर दिया गया है। शासन के निर्देश पर प्रीपेड बिजली मीटर लगाने का काम जिला मुख्यालय के साथ सेंवढ़ा और भाण्डेर क्षेत्र में शुरू कर दिया गया है। ऐसे विभागों को अब...
नेशनल डेस्क: मध्य प्रदेश के दतिया जिले में अब सरकारी विभागों को बिजली उपयोग से पहले भुगतान करना अनिवार्य कर दिया गया है। शासन के निर्देश पर प्रीपेड बिजली मीटर लगाने का काम जिला मुख्यालय के साथ सेंवढ़ा और भाण्डेर क्षेत्र में शुरू कर दिया गया है। ऐसे विभागों को अब बिजली के उपयोग से पहले बिल की राशि जमा करनी होगी।
प्रीपेड मीटर से बकाया बिल की समस्या होगी खत्म
इस व्यवस्था से बिजली कंपनी को बड़े स्तर पर बकाया बकाया राशि वसूलने की परेशानी से निजात मिलेगी। नया नियम लागू होने के बाद विभाग प्रमुखों को अपने विभागों के लिए बजट सुनिश्चित करना होगा, ताकि किसी तरह का भुगतान भी मिल सके और वसूली की प्रक्रिया सुचारू हो।
किस इलाकों में कितने मीटर लगाने का लक्ष्य?
दतिया मुख्यालय में लगभग 200 प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं, जिनमें अब तक 160 मीटर लग चुके हैं।
सेंवढ़ा एवं भाण्डेर विकास खंड में सरकारी दफ्तरों में लगभग 300 और मीटर लगाए जाएंगे।
पूरे जिले में यह पहल 30 दिनों के भीतर पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।
सिस्टम कैसे काम करेगा?
शासनादेश के अनुसार, समिति अधिकारियों को पिछले वर्ष के सबसे अधिक बिजली बिल की दोगुनी राशि दो माह के अग्रिम भुगतान के रूप में जमा करनी होगी। पहली रिचार्ज राशि जमा होने के बाद हर माह उपयोग के आधार पर बिल कटता रहेगा। अगर किसी सरकारी विभाग का बिल छह माह तक बकाया रहता है, तब भी व्यवस्था उपभोक्ताओं को विद्युत कट-off से बचाए रखेगी।
आम उपभोक्ताओं के लिए भी हो रही तैयारी
इस योजना का दूसरा चरण अगस्त 2025 से लागू होगा, जिसमें आम घरों और प्रतिष्ठानों में रिचार्ज आधारित प्रीपेड बिजली मीटर लगाए जाएंगे। यह बिलिंग मोबाइल रिचार्ज जैसी प्रणाली पर आधारित होगी, जिससे दैनिक खपत और बैलेंस की जानकारी ग्राहकों को उपलब्ध होगी। इस तरह उपभोक्ता बिजली जलाने से पहले बैलेंस जमा कर सकेंगे।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
बिजली कंपनी की वसूली में सुधार होगा;
बकाया राशि की वजह से परेशान कर देने वाली स्थिति से निजात मिलेगी;
ऊर्जा खपत को नियंत्रित करने में लाभ मिलेगा;
सरकारी विभागों में वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित होगी।