एक्स्ट्राऑर्डिनरी प्रेग्नेंसी: महिला के गर्भ में बच्ची लिवर से चिपकी, डॉक्टरों के होश उड़ गए!

Edited By Updated: 09 Dec, 2025 12:13 PM

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पेरू में दुर्लभ मेडिकल घटना सामने आई। एक महिला के गर्भ में बच्ची गर्भाशय के बजाय सीधे लिवर से चिपकी मिली, जिससे डॉक्टरों के होश उड़ गए। हालांकि, विशेषज्ञों की जटिल सर्जरी और आधुनिक तकनीक की मदद से मां और बच्ची दोनों सुरक्षित हैं। यह घटना दुनिया में...

नेशनल डेस्क:  पेरू में दुर्लभ मेडिकल घटना सामने आई। एक महिला के गर्भ में बच्ची गर्भाशय के बजाय सीधे लिवर से चिपकी मिली, जिससे डॉक्टरों के होश उड़ गए। हालांकि, विशेषज्ञों की जटिल सर्जरी और आधुनिक तकनीक की मदद से मां और बच्ची दोनों सुरक्षित हैं। यह घटना दुनिया में बेहद कम दर्ज मामलों में से एक मानी जा रही है।

इस दुर्लभ स्थिति को हेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Hepatic Ectopic Pregnancy) कहा जाता है। आमतौर पर निषेचित अंडा गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है, लेकिन इस असामान्य स्थिति में बच्चा लिवर में विकसित हुआ। सामान्यत: इस तरह की प्रेग्नेंसी में आंतरिक रक्तस्राव का खतरा बहुत अधिक होता है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

पेरू की लीमा के पास सैन मार्टिन डी पोरेस में स्थित कैयेटानो हेरेडिया नेशनल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने इस मामले को “चमत्कार” कहा। 19 वर्षीय मां और उसके नवजात बच्ची दोनों की जान बचाने के लिए चिकित्सकों ने अत्यंत जटिल सर्जरी की। बच्ची का वजन 3.6 किलोग्राम (7.9 पाउंड) था और जन्म के समय पूरी तरह स्वस्थ थी। स्वास्थ्य मंत्री लुइस क्विरोज एविलस ने बताया कि यह पेरू में पहली बार और दुनिया में केवल चौथे अवसर पर सफल हुई ऐसी प्रेग्नेंसी है।

 सामान्यतः एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में 96% मामले फैलोपियन ट्यूब में होते हैं, जबकि केवल 4% मामले पेट में होते हैं। इस दुर्लभ केस में निषेचित अंडा सीधे लिवर में प्रत्यारोपित हुआ और अंग की धमनियों से पोषण प्राप्त करता रहा। इसके अलावा, बच्ची ने गर्भ में पूरे 40 सप्ताह तक विकसित होकर जन्म लिया, जो कि सामान्य एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में लगभग असंभव माना जाता है। इससे पहले के तीन मामलों में बच्चे केवल 36 सप्ताह तक ही गर्भ में रहे थे।

जटिल सर्जरी और इलाज
बच्ची के जन्म के बाद मां की स्थिति गंभीर हो गई क्योंकि प्लेसेंटा को हटाना संभव नहीं था और अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा था। उसे तुरंत कैयेटानो हेरेडिया नेशनल हॉस्पिटल में स्थानांतरित किया गया। यहां इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी की मदद से एंबोलाइजेशन प्रक्रिया की गई, जिसमें प्लेसेंटा को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों को बंद किया गया। इस प्रक्रिया से मां का जीवन सुरक्षित रहा।

स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि मां और बच्ची अब पूरी तरह सुरक्षित हैं और बुधवार (3 दिसंबर) को घर लौट गई हैं। इस असाधारण सफलता ने न केवल पेरू में बल्कि पूरी दुनिया में मेडिकल इतिहास में अपनी जगह बना ली है।

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