आरोपियों की मौत पर 84% लोगों ने कहा ‘पाप का फल’

Edited By Anil dev,Updated: 07 Dec, 2019 09:02 AM

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हैदराबाद बलात्कार कांड के आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराए जाने को लेकर ज्यादातर लोगों ने इसे ‘पाप का फल’ बताया। मुठभेड़ सही या गलत इस पर लोगों ने बहुत ज्यादा बात नहीं की। वहीं कुछ लोगों ने यह कहा कि अगर पुलिस ने जानबूझकर आरोपियों को गोलियों से भून...

नई दिल्ली: हैदराबाद बलात्कार कांड के आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराए जाने को लेकर ज्यादातर लोगों ने इसे ‘पाप का फल’ बताया। मुठभेड़ सही या गलत इस पर लोगों ने बहुत ज्यादा बात नहीं की। वहीं कुछ लोगों ने यह कहा कि अगर पुलिस ने जानबूझकर आरोपियों को गोलियों से भून दिया तो यह गलत है। सजा देने का अधिकार अदालत के पास है, जबकि कुछ लोगों ने तो यह तक कह दिया कि बलात्कार करने वालों को गोली मारने की सजा ही होनी चाहिए। नवोदय टाइम्स ने हैदराबाद मुठभेड़ कांड को लेकर युवक-युवतियों, महिला-पुरुषों और बुजुर्गों से बातचीत की। मिले जवाब के अनुसार 84 प्रतिशत लोगों ने कहा कि जो जैसा करता है उसको उसकी सजा मिलती है। बलात्कार के आरोपियों को भी ‘पाप का फल’ मिला है।  

 

जो हुआ ठीक हुआ
कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में 20 युवकों-युवतियों से बात की गई। सभी से एक ही सवाल किया गया कि मुठभेड़ में बलात्कार आरोपियों को ढेर किए जाने की घटना पर उनका क्या कहना है। इनमें से 15 ने कहा कि जो हुआ ठीक हुआ। सॉफ्टवेयर इंजीनियर रवि ने कहा कि यह नहीं पता कि मुठभेड़ फर्जी थी या असली लेकिन, वह जानते हैं कि जिस तरह से महिला पशु चिकित्सक के साथ रेप और फिर उसे जला देने की घटना हुई वह अत्यंत दर्दनाक थी। 


सजा तो यहीं मिलती है
डीडीए पार्क में शाम के वक्त 20 बुजुर्गों से बातचीत की गई। इनमें से 17 लोगों ने जो कहा उससे यही सामने आया कि किसी भी पाप की सजा भुगतनी ही पड़ती है। चाहे ऊपर वाला सजा दे या फिर अदालत से मिले, जो जैसा करता है वैसा ही भरता है। कमल सेहरावत ने कहा कि आरोपियों के मन में अपने किए का डर था तभी तो वह भागे और पुलिस पर हमला किया। मुठभेड़ में आरोपी मारे गए तो कहीं ना कहीं उनको अपने किए की सजा ही तो मिली।
 

दिल को मिला सुकून
बस स्टॉप पर 10 महिलाओं से बात की गई। सभी ने कहा कि मुठभेड़ जांच का विषय है, लेकिन जब यह सुना कि रेप आरोपी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए तो दिल को सुकून मिला। मालती कुमारी ने कहा कि जिस दिन से यह घटना हुई वह बहुत दुखी थीं और डरी भी हुई थीं। समाज में ऐसे दरिंदे हैं, यह सोचकर बहन-बेटियों की सुरक्षा को लेकर मन में तरह-तरह के ख्याल आते थे। ऐसे में जब फैसला ऑन स्पॉट जैसी बातें सुनाई दीं तो थोड़ी हिम्मत मन में जागी।

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