Edited By Mehak,Updated: 07 Nov, 2025 01:55 PM

जब कोई कार लगभग 1.20 लाख किलोमीटर चल चुकी होती है, तो सिर्फ सामान्य सर्विसिंग से काम नहीं चलता। इस माइलेज पर इंजन ऑयल, फिल्टर, ब्रेक पैड, क्लच प्लेट, सस्पेंशन, टायर और बैटरी जैसे कई पार्ट्स को बदलना जरूरी हो जाता है। इनकी समय पर जांच और रिप्लेसमेंट...
नेशनल डेस्क : आज के समय में लगभग हर घर में एक कार होती है, जो हमारी रोजमर्रा की जरूरतों से लेकर लंबी यात्राओं तक का अहम हिस्सा बन चुकी है। लेकिन जब कोई कार करीब 1.20 लाख किलोमीटर तक चल जाती है, तो केवल सामान्य सर्विसिंग काफी नहीं होती। इस माइलेज पर कई जरूरी पार्ट्स अपनी उम्र पूरी कर लेते हैं और उन्हें बदलना बेहद जरूरी हो जाता है।
इंजन, बेल्ट और ब्रेक सिस्टम पर सबसे पहले ध्यान दें
1.20 लाख किलोमीटर के बाद कार की इंजन परफॉर्मेंस को बनाए रखना सबसे अहम होता है। इसके लिए इंजन ऑयल, ऑयल फिल्टर और एयर फिल्टर को तुरंत बदलवाएं, क्योंकि इतने लंबे समय के बाद ये प्रभावी नहीं रहते। साथ ही, टाइमिंग बेल्ट और फैन बेल्ट की जांच करें, क्योंकि इनके खराब होने से इंजन को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसी तरह ब्रेक पैड और डिस्क भी अब तक घिस चुके होते हैं, जिससे ब्रेकिंग क्षमता कमजोर पड़ जाती है।
क्लच और स्पार्क प्लग का भी निरीक्षण करें
इतनी दूरी चलने के बाद क्लच प्लेट अक्सर स्लिप करने लगती है, जिससे गियर बदलना मुश्किल हो जाता है। अगर कार पेट्रोल इंजन वाली है, तो स्पार्क प्लग को भी रिप्लेस करें। यह बदलाव न केवल कार का पिकअप और माइलेज बेहतर रखते हैं, बल्कि इंजन की लाइफ भी बढ़ाते हैं।
सस्पेंशन, टायर और बैटरी का रिप्लेसमेंट जरूरी
इतना चलने के बाद सस्पेंशन सिस्टम में ढीलापन आना सामान्य है। अगर गाड़ी उबड़-खाबड़ रास्तों पर झटके देने लगी है, तो शॉक एब्जॉर्बर और बुशिंग्स को बदलवाएं। साथ ही, टायरों की ग्रिप और ट्रेड डेप्थ की जांच करें। अगर उनमें घिसावट या क्रैक नजर आएं तो नए टायर लगवाना ही बेहतर है।
बैटरी और फ्लूइड्स की जांच करें
लंबे समय के बाद बैटरी की क्षमता घटने लगती है, इसलिए उसे टेस्ट करवाएं या जरूरत पड़ने पर बदलें। इसके अलावा, कूलेंट, ब्रेक फ्लूइड और ट्रांसमिशन ऑयल भी बदलवाएं ताकि गाड़ी की परफॉर्मेंस और लाइफ बनी रहे।