IAF दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली वायुसेना, रैंकिंग में चीन को कैसे पछाड़ा?

Edited By Updated: 16 Oct, 2025 06:52 PM

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वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (WDMMA) 2025 रिपोर्ट के अनुसार भारतीय वायुसेना अब दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली एयरफोर्स बन गई है। अमेरिका और रूस के बाद IAF का ट्रूवैल रेटिंग 69.4 अंक है, जबकि चीन का 63.8। भारत के पास आधुनिक,...

नेशनल डेस्क : भारत ने वायुसेना की ताकत के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (WDMMA) की ताजा 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायुसेना (IAF) अब अमेरिका और रूस के बाद दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली एयरफोर्स बन गई है। रिपोर्ट में भारत का ट्रूवैल रेटिंग (TVR) 69.4 अंक है, जबकि चीन का 63.8 अंक। हालांकि चीन के पास भारत से अधिक लड़ाकू विमान हैं, लेकिन IAF को अधिक आधुनिक, संतुलित और युद्ध-तैयार माना गया है।

WDMMA रैंकिंग का आधार
WDMMA हर साल 103 देशों की 129 वायु सेवाओं (सेना, नौसेना और मरीन एविएशन सहित) की रैंकिंग जारी करती है, जिसमें कुल 48,082 विमान शामिल हैं। यह रैंकिंग केवल विमानों की संख्या पर आधारित नहीं है, बल्कि लड़ाकू क्षमता, रक्षा ताकत, लॉजिस्टिक सपोर्ट, ट्रेनिंग, तकनीकी आधुनिकता और फ्लीट की प्रभावशीलता जैसे पैरामीटर्स पर तय की जाती है। भारत के पास 1,716 विमान हैं, जिनमें 31.6% लड़ाकू, 29% हेलीकॉप्टर और 21.8% ट्रेनर शामिल हैं। वहीं, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) में 52.9% लड़ाकू और 28.4% ट्रेनर हैं, लेकिन समग्र संतुलन में भारत आगे है।

शीर्ष देशों की TVR रैंकिंग
रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष देशों की ट्रूवैल रेटिंग (TVR) इस प्रकार है:

अमेरिका: 242.9 (USAF)
रूस: 114.2
भारत: 69.4
चीन: 63.8
जापान: 58.1
इजराइल: 56.3
फ्रांस: 55.3

अमेरिका की वायुसेना वैश्विक स्तर पर अग्रणी है, जिसमें F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग जैसे स्टील्थ विमान शामिल हैं। भारत में दसॉल्ट राफेल, सुखोई Su-30 MKI, तेजस, MiG-29 और मिराज 2000 जैसे 4.5 जेनरेशन के विमान हैं, जबकि भविष्य में LCA-Mk1A, LCA-Mk2, MRFA और AMCA जैसे स्वदेशी विमान शामिल होंगे। चीन के पास J-20 और J-35 जैसे 5वीं पीढ़ी के विमान हैं, लेकिन ट्रेनिंग और ऑपरेशनल रेडीनेस में कमी है।

ऑपरेशन सिंदूर में IAF की ताकत का प्रदर्शन
भारत की वायुसेना की तैयारी की झलक मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर में दिखी। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले (जिसमें 26 नागरिक मारे गए) के जवाब में शुरू किया गया था। 7 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल और हवाई हमले किए। इनमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के कैंप शामिल थे, जैसे बहावलपुर का सुब्हान अल्लाह कैंप और मुरिदके का मस्जिद वा मरकज तैबा।

इंडियन आर्मी के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान LoC पर पाकिस्तान के 100 सैनिक मारे गए और कम से कम 12 पाकिस्तानी विमान तबाह हो गए। भारत ने सटीक हमलों से पाकिस्तानी हवाई रक्षा प्रणालियों को नष्ट किया, जबकि पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमले विफल रहे। पाकिस्तान ने 31 नागरिकों की मौत का दावा किया, लेकिन भारत ने इसे आतंकी बुनियादी ढांचे पर केंद्रित बताया।

चीन से आगे क्यों?
चीन अपनी एयरफोर्स को अपग्रेड करने पर अरबों डॉलर खर्च कर रहा है, लेकिन भारत पायलटों की ट्रेनिंग, तेज प्रतिक्रिया क्षमता और सटीक हमलों पर जोर देता है। IAF की ताकत का मूल कारण बेहतर ट्रेनिंग और तीनों सेनाओं (थल, जल, वायु) के बीच मजबूत तालमेल है। पाकिस्तान की वायुसेना चीन से हथियारों पर निर्भर है, लेकिन तकनीक और ट्रेनिंग में पीछे है।

रूस के पास अधिक विमान हैं, लेकिन यूक्रेन युद्ध में वह हवाई नियंत्रण नहीं बना पाया। वहीं, इजराइल ने जून 2025 में ईरान पर शुरू हुए हमलों में सिर्फ चार दिनों में हवाई दबदबा कायम कर लिया। 13 जून को इजराइल ने ईरान के परमाणु सुविधाओं और सैन्य ठिकानों पर 200 से अधिक फाइटर जेट्स से हमला किया, जिसमें प्रमुख सैन्य नेता और वैज्ञानिक मारे गए। यह 'ट्वेल्व-डे वॉर' का हिस्सा था, जो 25 जून को समाप्त हुआ। इजराइल की योजना, तकनीक और खुफिया जानकारी ने इसे सफल बनाया।

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