Edited By Mansa Devi,Updated: 28 May, 2025 11:28 AM

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हिन्दू पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक में बड़े फैसले लिए गए। इनमें सबसे अहम था – सिंधु जल संधि को निलंबित करना।
नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हिन्दू पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक में बड़े फैसले लिए गए। इनमें सबसे अहम था – सिंधु जल संधि को निलंबित करना।
रातों-रात नहीं, सालों की प्लानिंग का परिणाम
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि यह कदम एक लंबी रणनीति का हिस्सा है। जलशक्ति मंत्रालय और विदेश मंत्रालय पिछले तीन सालों से इस दिशा में तैयारी कर रहे थे।
जल को बनाया गया रणनीतिक हथियार
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह कदम पाकिस्तान की कमजोर नस पर वार है। भारत अब सिंधु जल का उपयोग राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए कर रहा है।
पुरानी संधि, नई चुनौतियां
1960 में बनी सिंधु जल संधि आज की ज़रूरतों के मुताबिक नहीं है। जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि और बिजली की जरूरतों को देखते हुए भारत इसे अब अप्रासंगिक मानता है।
अब नहीं लेनी होगी पाकिस्तान से इजाज़त
संधि के निलंबन के बाद अब भारत को किसी भी जल परियोजना के लिए पाकिस्तान से पूर्व अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। जल आयुक्तों की बैठकें भी अब ठप हो चुकी हैं।
‘सद्भावना’ को कमजोरी समझा गया
सरकार का मानना है कि पाकिस्तान ने भारत की शांति और सहयोग की नीति को कमजोरी समझा। लेकिन अब भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि सहनशीलता की सीमा समाप्त हो चुकी है।
विश्व बैंक को पहले ही ले लिया गया विश्वास में
भारत ने कानूनी और कूटनीतिक स्तर पर पूरी तैयारी कर रखी है। विश्व बैंक को सूचित कर दिया गया है कि भारत केवल अपनी सुरक्षा नीति के तहत कदम उठा रहा है।
पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ़जीहत
अब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय अदालत की ओर रुख करने की तैयारी में है, लेकिन भारत कानूनी मोर्चे पर पूरी तरह तैयार है। पाकिस्तान अब इसे "जल युद्ध" कहकर प्रचारित करने में जुटा है।
भारत की चेतावनी: अब एक बूंद भी नहीं
जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को अब एक बूंद पानी भी नहीं दी जाएगी। दीर्घकालिक और अल्पकालिक योजनाएं तैयार हैं।