Edited By Tanuja,Updated: 13 Oct, 2025 11:41 AM

दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास में तालिबानी विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय महिला पत्रकारों ने पहली पंक्ति में बैठकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह कदम हालिया विरोध के बाद महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बना। प्रियंका गांधी और राहुल गांधी...
International Desk: दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास में तालिबानी विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय महिला पत्रकारों ने पहली पंक्ति में बैठकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह कदम हालिया विरोध के बाद महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बना। प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने महिलाओं के अधिकारों की इस लड़ाई का समर्थन किया।
अफगान दूतावास विवाद
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को प्रवेश न देने पर मचा बवाल आखिरकार रंग लाया। विरोध और जनआक्रोश के बाद रविवार को भारतीय महिला पत्रकारों ने दूतावास में आयोजित मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहली पंक्ति की सीटें संभालीं, जो महिला अधिकारों के सम्मान और प्रेस स्वतंत्रता का प्रतीक बनीं।
विवाद की शुरुआत
10 अक्टूबर को हुई प्रेस वार्ता में महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया था। अफगान दूतावास के बाहर कई महिला पत्रकारों को रोक दिया गया, जिसके बाद पूरे देश में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। सोशल मीडिया पर इसे “तालिबानी सोच” बताते हुए लोगों ने सवाल उठाए कि भारत की भूमि पर किसी विदेशी प्रतिनिधि को ऐसा भेदभाव करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है।
राजनीतिक हलचल
इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा था कि “यह भारत की साहसी और सक्षम महिला पत्रकारों का अपमान है। प्रधानमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या भारत में भी अब तालिबानी सोच को जगह मिलेगी?”वहीं राहुल गांधी ने इसे “तालिबानी और आरएसएस मानसिकता का मिलाजुला रूप” बताया और कहा कि “महिलाओं की आवाज़ को दबाने की कोशिश कभी सफल नहीं होगी। भारतीय महिलाओं को अपने अधिकारों से कोई वंचित नहीं कर सकता।”
तालिबानी विदेश मंत्री की सफाई
अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने बाद में सफाई देते हुए कहा कि “महिला पत्रकारों को बाहर रखना जानबूझकर नहीं था, बल्कि सूची में कुछ तकनीकी त्रुटियाँ थीं।” लेकिन इस सफाई को भारत के पत्रकार संगठनों और महिला आयोग ने “अपर्याप्त और अस्वीकार्य” बताया।
सरकार का रुख
विदेश मंत्रालय (MEA) ने बयान जारी कर कहा कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन अफगान दूतावास ने स्वतंत्र रूप से किया था, भारत सरकार का इसमें कोई औपचारिक रोल नहीं था। मंत्रालय ने यह भी दोहराया कि भारत महिलाओं के समान अधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता का सशक्त समर्थक है।
नारी सम्मान की जीत
प्रतिक्रिया के दबाव में रविवार को दूतावास में आयोजित दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को न केवल बुलाया गया, बल्कि उन्हें फ्रंट रो (पहली कतार) में बैठाया गया। यह दृश्य पूरे मीडिया जगत के लिए एक प्रतीक बन गया “भारत में तालिबानी सोच नहीं चलेगी।”यह विवाद न सिर्फ अफगान दूतावास की गलती का मामला था, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक आत्मा और महिला सशक्तिकरण की पहचान का भी प्रतीक बन गया। प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की पहल ने इस मामले को जनहित के स्तर पर उठाया और अंततः महिला पत्रकारों के लिए न्याय की राह खोली।