Edited By Radhika,Updated: 23 Dec, 2025 12:32 PM

'पीएफएएस' (PFAS) यानी ऐसे रसायन जो कभी खत्म नहीं होते, अब भारत के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य संकट बनते जा रहे हैं। इससे जुड़ी हैरानी वाली बात यह है कि जिन जहरीली तकनीकों और फैक्ट्रियों को यूरोप और अमेरिका ने अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए बंद कर दिया,...
नेशनल डेस्क: 'पीएफएएस' (PFAS) यानी ऐसे रसायन जो कभी खत्म नहीं होते, अब भारत के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य संकट बनते जा रहे हैं। इससे जुड़ी हैरानी वाली बात यह है कि जिन जहरीली तकनीकों और फैक्ट्रियों को यूरोप और अमेरिका ने अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए बंद कर दिया, उन्हें अब चुपचाप भारत में शिफ्ट किया जा रहा है। आइए डिटेल में जानते हैं कि क्या है ये कैमिकल-
क्या है PFAS और क्यों इसे 'फॉरएवर केमिकल' कहते हैं?
PFAS (पर- और पॉलीफ्लोरोअल्काइल पदार्थ) रसायनों का एक ऐसा समूह है जो प्रकृति में कभी नष्ट नहीं होता। एक बार जब ये हमारे शरीर, पानी या मिट्टी में प्रवेश कर जाते हैं, तो ये हमेशा के लिए वहीं जम जाते हैं। हाल ही में हुई एक रिसर्च बताती है कि भारत में भूजल, पीने के पानी और यहाँ तक कि माताओं के दूध (Breast Milk) में भी इन रसायनों के अंश पाए गए हैं।
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यूरोप ने जिसे ठुकराया, भारत ने उसे अपनाया?
इटली और यूरोप के अन्य देशों में PFAS फैक्ट्रियों के कारण लाखों लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हुए, जिसके बाद वहां कड़े कानून बनाकर इन कारखानों को बंद कर दिया गया। वही कॉर्पोरेट कंपनियां अब अपने पेटेंट और सिस्टम लेकर भारत का रुख कर रही हैं। विशेषज्ञों का आरोप है कि 'Ease of Doing Business' के नाम पर हम भविष्य की पीढ़ियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
जानलेवा बीमारियाँ और कोई इलाज नहीं
एक बार शरीर में पहुँचने के बाद PFAS को बाहर निकालने का कोई तरीका विज्ञान के पास नहीं है। यह सीधे तौर पर कैंसर, किडनी फेल्योर, बांझपन और हार्मोनल असंतुलन जैसी लाइलाज बीमारियों को जन्म दे रहा है। अगर समय रहते कड़े मानक तय नहीं किए गए, तो भारत आने वाले समय में जहरीले कचरे का ढेर बन सकता है।