‘इस्लाम तो इस्लाम ही रहेगा चाहे कोई...’, वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में जस्टिस मसीह ने की टिप्पणी

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 22 May, 2025 03:21 PM

justice masih commented sc hearing on the wakf amendment act

वक्फ संशोधन कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई जारी है। गुरुवार, 22 मई को सुनवाई के तीसरे दिन एक बड़ी टिप्पणी उस वक्त सामने आई...

नेशनल डेस्क: वक्फ संशोधन कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई जारी है। गुरुवार, 22 मई को सुनवाई के तीसरे दिन एक बड़ी टिप्पणी उस वक्त सामने आई जब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों के बीच कहा - "इस्लाम तो इस्लाम ही रहेगा चाहे कोई कहीं भी रहे।" यह बयान देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आदिवासी इलाकों में रहने वाले मुस्लिम समुदाय का धार्मिक पालन देश के अन्य हिस्सों के मुस्लिमों से अलग होता है। उन्होंने इसे संवैधानिक संरक्षण की आवश्यकता से जोड़ते हुए बताया कि वक्फ कानून में बदलाव से इनकी जमीनों की रक्षा होगी। लेकिन इसी दौरान जस्टिस मसीह ने उन्हें टोकते हुए कहा कि धर्म की आत्मा एक होती है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में निभाई जा रही हो। यह टिप्पणी धार्मिक एकरूपता और संवैधानिक समानता की दिशा में एक मजबूत संदेश के तौर पर देखी जा रही है।

क्या कहा केंद्र ने ST मुस्लिमों पर
तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि संशोधित वक्फ कानून का उद्देश्य आदिवासी मुस्लिम समुदाय की जमीनों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि वक्फ एक ईश्वर के नाम पर स्थायी समर्पण है, लेकिन जब धोखे से जमीन ली जाती है तो मामला अलग होता है। उनके अनुसार, संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्राइबल मुस्लिमों की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान होती है और वे इस्लाम का परंपरागत पालन नहीं करते, इसलिए उन्हें अलग तरीके से देखने की जरूरत है।

वक्फ के नाम पर जमीन हड़पने का आरोप
सुनवाई में तुषार मेहता ने यह भी बताया कि कुछ आदिवासी संगठनों ने शिकायत की है कि उनकी जमीनें वक्फ के नाम पर कब्जे में ली जा रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह पूरी प्रक्रिया असंवैधानिक नहीं है? उन्होंने कहा कि नया कानून इन समस्याओं से निपटने के लिए जरूरी है।

नए सीजेआई की बेंच कर रही सुनवाई
इस मामले की सुनवाई अब मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस मसीह की बेंच कर रही है। इससे पहले यह मामला पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना के पास था जिन्होंने रिटायरमेंट से पहले इसे नई बेंच को सौंप दिया था। मंगलवार से लगातार इस मुद्दे पर सुनवाई हो रही है और हर दिन यह और अधिक संवेदनशील और महत्वपूर्ण होता जा रहा है।

 

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