किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर आई बड़ी खबर: वैज्ञानिकों ने बनाई 'यूनिवर्सल किडनी', किसी भी ब्लड ग्रुप से हो जाएगी मैच

Edited By Updated: 16 Oct, 2025 02:43 PM

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किडनी ट्रांसप्लांट के लिए महीनों–सालों तक इंतजार करने वाले मरीजों के लिए एक क्रांतिकारी राहत की खबर सामने आई है। अब ऐसा समय दूर नहीं जब किसी भी ब्लड ग्रुप वाले मरीज को किसी भी डोनर से किडनी ट्रांसप्लांट मिल सकेगा — वो भी बिना शरीर द्वारा उसे रिजेक्ट...

नई दिल्ली:  किडनी ट्रांसप्लांट के लिए महीनों–सालों तक इंतजार करने वाले मरीजों के लिए एक क्रांतिकारी राहत की खबर सामने आई है। अब ऐसा समय दूर नहीं जब किसी भी ब्लड ग्रुप वाले मरीज को किसी भी डोनर से किडनी ट्रांसप्लांट मिल सकेगा — वो भी बिना शरीर द्वारा उसे रिजेक्ट किए जाने के खतरे के। कनाडा और चीन की रिसर्च टीम ने एक ऐसी ‘यूनिवर्सल किडनी’ तैयार करने में सफलता पाई है, जिसे सिद्धांत रूप में किसी भी मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है, भले ही उसका ब्लड ग्रुप अलग क्यों न हो।

कैसे बनी यह ‘यूनिवर्सल किडनी’?
यह सफलता किसी जादू से कम नहीं। वैज्ञानिकों ने विशेष एंजाइम्स की मदद से डोनर की किडनी से वो एंटीजन हटा दिए, जो आमतौर पर शरीर को बताता है कि यह "बाहरी" अंग है।

टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है?
टाइप A ब्लड ग्रुप वाली किडनी को टाइप O में बदला गया
ऐसा एंजाइम आधारित "मॉलिक्यूलर कैंची" से किया गया
ये एंजाइम शर्करा अणुओं (Antigens) को काट देते हैं
जिससे किडनी  सार्वभौमिक  (Universal) बन जाती है

 ब्रेन डेड मरीज पर हुआ सफल परीक्षण
इस यूनिवर्सल किडनी को एक ब्रेन डेड मरीज के शरीर में कई दिनों तक जोड़ा गया और परिणाम बेहद उत्साहजनक रहे। किडनी ने शरीर में सामान्य रूप से कार्य किया, बिना किसी रिजेक्शन के संकेत के। ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी के बायोकेमिस्ट स्टीफन विथर्स के अनुसार, "यह पहला मौका है जब यह तकनीक इंसानी मॉडल में सफल रही है। इससे भविष्य में बेहतर और सुरक्षित ट्रांसप्लांट की दिशा में उम्मीदें और मजबूत हुई हैं।"

फिलहाल की व्यवस्था क्या है?
आज के दौर में अगर कोई O ब्लड ग्रुप वाला मरीज किडनी ट्रांसप्लांट चाहता है, तो उसे O ग्रुप डोनर का ही इंतजार करना पड़ता है। अन्य ब्लड ग्रुप्स के साथ मैचिंग संभव तो है, लेकिन:
शरीर को रिजेक्शन से बचाने के लिए महीनों की तैयारी करनी होती है
मरीज को इम्यून सिस्टम दबाने वाली दवाएं दी जाती हैं
यह प्रक्रिया महंगी, जोखिमभरी और थकाऊ होती है
और इसके लिए अक्सर जीवित डोनर की जरूरत पड़ती है

इस रिसर्च से क्या बदल जाएगा?
ब्लड ग्रुप की बाधा होगी खत्म
वेटिंग लिस्ट होगी छोटी
ट्रांसप्लांट के मौके कई गुना बढ़ जाएंगे
मरीजों की जान बचाने की दर में सुधार
और सबसे अहम - ट्रांसप्लांट के लिए डोनर ढूंढना आसान हो जाएगा

वैज्ञानिकों की नजर में क्यों है ये 'गेमचेंजर'?
यह खोज मेडिकल साइंस के लिए उसी तरह की क्रांति साबित हो सकती है, जैसे मोबाइल के बाद स्मार्टफोन या चिट्ठियों के बाद ईमेल। जब मरीज और डोनर के ब्लड ग्रुप का फर्क मायने ही न रखे, तो हर साल हज़ारों जानें बचाई जा सकती हैं, जो केवल "सही ग्रुप का डोनर नहीं मिला" इस वजह से दम तोड़ देते हैं।

क्या अब किडनी ट्रांसप्लांट सबके लिए आसान हो जाएगा?
फिलहाल, यह तकनीक परीक्षण के चरण में है, लेकिन इसके नतीजे इतने सकारात्मक हैं कि जल्द ही बड़े पैमाने पर ह्यूमन ट्रायल्स शुरू हो सकते हैं। अगर ये सफल रहे, तो आने वाले वर्षों में यह तकनीक किडनी ट्रांसप्लांट का पूरा परिदृश्य बदल सकती है।

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