यहां दुल्हन की नहीं, दूल्हे की होती है विदाई! भारत के इस समुदाय की अजीबोगरीब शादी का रिवाज जानकर रह जाएंगे दंग

Edited By Updated: 25 Jun, 2025 04:09 PM

know about the khasi tribe of meghalaya

भारत विविधताओं का देश है जहाँ हर कुछ दूरी पर रीति-रिवाज, रहन-सहन और खान-पान में बदलाव देखने को मिल जाता है। एक ही धर्म को मानने वाले लोगों के कल्चर में भी अद्भुत विविधताएँ मिलती हैं। ऐसा ही कुछ भारतीय शादियों के रिवाजों को लेकर भी है। देश के हर...

नेशनल डेस्क। भारत विविधताओं का देश है जहाँ हर कुछ दूरी पर रीति-रिवाज, रहन-सहन और खान-पान में बदलाव देखने को मिल जाता है। एक ही धर्म को मानने वाले लोगों के कल्चर में भी अद्भुत विविधताएँ मिलती हैं। ऐसा ही कुछ भारतीय शादियों के रिवाजों को लेकर भी है। देश के हर प्रांत में शादियों के अलग-अलग रीति-रिवाज हैं। आइए आपको भारत के एक ऐसे समुदाय के बारे में बताते हैं जहाँ दुल्हन बारात लेकर आती है और दूल्हे को विदा कराकर अपने घर ले जाती है।

किस राज्य में है यह अनोखा समुदाय?

यह अद्भुत समुदाय भारत के नॉर्थ-ईस्ट (पूर्वोत्तर) राज्य मेघालय में है। पूर्वोत्तर राज्य अपने आप में बेहद खूबसूरत हैं जहाँ आपको शानदार पहाड़, झरने, नदियाँ और लजीज पकवान मिलते हैं। हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ घूमने आते हैं। इन राज्यों में आदिवासी लोगों की आबादी काफी ज़्यादा है और इन आदिवासी समुदायों में शादी का कल्चर काफी अलग होता है।

मेघालय में ऐसा ही एक समुदाय है खासी समुदाय। इस समुदाय की सबसे खास बात यह है कि यहाँ महिलाओं को सबसे ज़्यादा अधिकार प्राप्त हैं। मेघालय की लगभग 25 प्रतिशत आबादी खासी समुदाय की है। देश के बाकी हिस्सों में जहाँ पितृसत्तात्मक व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाती है वहीं इस समुदाय में मातृसत्तात्मक यानी महिलाओं के अधिकारों को सबसे ऊपर रखा जाता है।

शादियों को लेकर क्या है अनोखा रिवाज?

खासी समुदाय में शादियों को लेकर बेहद अनोखा रिवाज है। देश के बाकी हिस्सों में जहाँ दूल्हा पक्ष वाले बारात लेकर दुल्हन के घर जाते हैं वहीं खासी समुदाय में दुल्हन खुद शादी में बारात लेकर दूल्हे के घर जाती है। शादी के बाद लड़का (दूल्हा) लड़की (दुल्हन) के घर पर रहने आता है। यह रिवाज खासकर परिवार की सबसे छोटी लड़की के मामले में ज़्यादा प्रचलित है कि उसका दूल्हा शादी के बाद लड़की के घर आकर बस जाता है।

यहाँ लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकार होता है। इस समुदाय में माता-पिता की संपत्ति पर पहला अधिकार लड़कियों का होता है यानी घर की संपत्ति की असली मालकिन भी महिला ही होती है। खासी समुदाय के अलावा मेघालय की ही दो अन्य जनजातियाँ गारो और जयंतिया में भी खासी समुदाय के कुछ नियमों का पालन किया जाता है।

अलग हैं रीति-रिवाज और परंपराएँ

खासी समुदाय में रीति-रिवाज भी देश के बाकी हिस्सों से काफी अलग हैं। देश के बाकी हिस्सों में जहाँ लड़का पैदा होने पर खुशियाँ मनाई जाती हैं वहीं इस समुदाय में इसका ठीक उल्टा होता है यहाँ लड़की के जन्म पर खुशियाँ मनाई जाती हैं।

इसके अलावा इस समुदाय के लोगों को गाने-बजाने का भी काफी शौक होता है। यहाँ आपको तमाम अलग-अलग तरह के वाद्ययंत्र देखने को मिल जाएंगे। ये लोग खुशी के मौके पर गिटार, बांसुरी और ड्रम आदि बजाते हैं। केवल इसी समुदाय में ही नहीं बल्कि आपको पूरे नॉर्थ-ईस्ट में गाने-बजाने के शौकीन लोग मिल जाएँगे जो अपनी सांस्कृतिक विरासत को संगीत के माध्यम से जीवंत रखते हैं। यह समुदाय भारत की सांस्कृतिक विविधता का एक खूबसूरत उदाहरण प्रस्तुत करता है।

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