60 साल बाद भारतीय वायुसेना से रिटायर होगा मिग-21, युद्ध में पाकिस्तान के दांत किए थे खट्टे

Edited By Updated: 23 Sep, 2025 04:24 PM

mig 21 retires after 60 years india legendary fighter jet bids farewell

भारतीय वायु सेना का प्रतिष्ठित मिग-21 लड़ाकू विमान 60 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो रहा है। 1965 और 1971 के युद्धों से लेकर बालाकोट और कारगिल तक, चंडीगढ़ में इसकी वीरतापूर्ण विरासत और अंतिम विदाई के बारे में जानें।

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना का सबसे पुराना और भरोसेमंद फाइटर जेट मिग-21 अब इतिहास बन जाएगा। 26 सितंबर को चंडीगढ़ में भव्य समारोह के साथ इसे 60 साल बाद विदाई दी जाएगी। छह दशकों की सेवा और कई युद्धों में अपनी ताकत साबित करने वाले इस विमान की विदाई पूरे देश के लिए भावनात्मक पल होगी।

देशसेवा में अव्वल रहा मिग-21
1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ मिग-21 देश का पहला सुपरसोनिक जेट रहा। 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में इसने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए। बांग्लादेश की आज़ादी में भी इस विमान ने अहम भूमिका निभाई। करगिल युद्ध में पाकिस्तानी घुसपैठ को ध्वस्त करने से लेकर 2019 की बालाकोट स्ट्राइक में एफ-16 को मार गिराने तक, मिग-21 हमेशा भारत की आसमानी ढाल बना रहा।

चंडीगढ़ में होगा विदाई समारोह
वायुसेना ने मिग-21 को विदाई देने के लिए चंडीगढ़ को चुना है। यही वह जगह है, जहां यह विमान पहली बार आया था। समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में मिग-21 उड़ाने वाले करीब एक हज़ार पूर्व और वर्तमान पायलट शामिल होंगे। सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक चलने वाले इस इवेंट की शुरुआत 23वीं स्क्वॉड्रन 'पैंथर्स' की विक्ट्री फॉर्मेशन फ्लाई पास से होगी।

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विदाई की खास झलकियां

समारोह में 1965 और 1971 के युद्ध के पल रीक्रिएट किए जाएंगे। एक साथ छह मिग-21 विमान मंच के सामने लैंड कर स्विच ऑफ करेंगे। इसके बाद 23वीं स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर वायुसेना प्रमुख को 'फॉर्म-700' किताब सौंपेंगे। यही मिग-21 की आधिकारिक विदाई होगी। इस दौरान तेजस फाइटर भी साथ उड़ान भरेगा, यह संदेश देने के लिए कि अब मिग-21 की विरासत को वह आगे ले जाएगा।

'फ्लाइंग कॉफिन' से 'स्वीट हार्ट' तक का सफर
लंबे समय तक हादसों के कारण मिग-21 को 'फ्लाइंग कॉफिन' भी कहा गया। दरअसल, इसे नब्बे के दशक में ही रिटायर होना था, लेकिन नए विमान की कमी के चलते इसे लगातार अपग्रेड कर सेवा में रखा गया। इसके बावजूद, वायुसेना के पायलटों ने इसे हमेशा ‘स्वीट हार्ट’ कहा। पूर्व एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ के शब्दों में – “हमारी स्वीट हार्ट जा रही है।”

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