केरल के स्कूलों में जुम्बा डांस प्रोग्राम का मुस्लिम संगठनों ने किया विरोध, शिक्षा मंत्री ने दिया ये जवाब

Edited By Updated: 28 Jun, 2025 02:50 PM

muslim organizations opposed the zumba dance program in kerala schools

केरल सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में नशा विरोधी अभियान के तहत जुम्बा डांस प्रोग्राम शुरू करने के फैसले पर मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई है। इन संगठनों ने लड़कों और लड़कियों के "मिलकर नाचने" और "कम कपड़े पहनकर डांस करने" को अनुचित बताया है।

नेशनल डेस्क: केरल सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में नशा विरोधी अभियान के तहत जुम्बा डांस प्रोग्राम शुरू करने के फैसले पर मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई है। इन संगठनों ने लड़कों और लड़कियों के "मिलकर नाचने" और "कम कपड़े पहनकर डांस करने" को अनुचित बताया है।
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'मैं इसे स्वीकार नहीं करता... '
शैक्षणिक वर्ष से कई स्कूलों में जुम्बा प्रशिक्षण शुरू हो चुका है। विसडम इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन के महासचिव टीके अशरफ ने कहा कि उनका बेटा इस सत्र में हिस्सा नहीं लेगा। उन्होंने फेसबुक पर लिखा, "मैं इसे स्वीकार नहीं करता और मेरा बेटा इसमें भाग नहीं लेगा।"
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'जुम्बा में लोग कम कपड़ों में साथ-साथ नाचते हैं'
सामस्थ के नेता नसार फैजी कूड़ाथई ने इस कदम को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन और शारीरिक फिटनेस के नाम पर अभद्रता थोपने वाला बताया। उन्होंने कहा, "जुम्बा में लोग कम कपड़ों में साथ-साथ नाचते हैं। अगर सरकार ने बच्चों को ऐसा करने को कहा है तो यह निंदनीय है।" उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा शारीरिक शिक्षा को बेहतर बनाने के बजाय अभद्रता को मजबूर करना गलत है। यह छात्रों के व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन है, जिनका नैतिक साक्षात्कार ऐसा नहीं सहता।
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बच्चों को खेलने, हंसने, मज़े करने और स्वस्थ रहने दिया जाए- शिक्षा मंत्री
वहीं, केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवकुट्टी ने इस कदम का समर्थन किया और फेसबुक पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें मुस्लिम छात्र जुम्बा सत्र में भाग लेते दिखे। उन्होंने कहा, "बच्चों को खेलने, हँसने, मज़े करने और स्वस्थ रहने दिया जाए।" शिक्षा मंत्री ने मुस्लिम संगठनों की आपत्तियों को "समाज में नशे से भी ज्यादा जहरीला" करार दिया। उन्होंने कहा कि किसी ने बच्चों को कम कपड़े पहनने के लिए नहीं कहा है, बच्चे स्कूल की वर्दी में नाच रहे हैं।

शिवकुट्टी ने राइट टू एजुकेशन (RTE) के तहत बच्चों के लिए यह सीखना अनिवार्य बताया और कहा कि माता-पिता के पास इसे रोकने का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे विरोध समाज में साम्प्रदायिकता बढ़ाएंगे और शिक्षा की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाएंगे। इससे पहले शिक्षा विभाग ने बताया था कि जुम्बा सत्र स्वैच्छिक हैं और छात्रों को अकादमिक दबाव से निपटने तथा नशा रोकने के लिए शुरू किए गए हैं। एक सरकारी अधिकारी ने मीडिया को बताया कि इस पहल का उद्देश्य मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है।

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