Edited By Anil dev,Updated: 27 Jul, 2021 12:24 PM

उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर भिखारियों और आवारा लोगों के पुनर्वास और टीकाकरण का आग्रह करने वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा।
नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर भिखारियों और आवारा लोगों के पुनर्वास और टीकाकरण का आग्रह करने वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। शीर्ष अदालत ने साफ किया कि वह ‘अभिजात्यवादी नजरिया' नहीं अपनाएगी कि सड़कों पर भिखारी नहीं होने चाहिए क्योंकि यह एक सामाजिक आर्थिक समस्या है।
न्यायालय ने इस मामले में सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता से सहायता करने का अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि शिक्षा और रोजगार की कमी के कारण आजीविका की कुछ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग आमतौर पर सड़कों पर भीख मांगने पर मजबूर होते हैं।
पीठ ने कहा, “ उच्चतम न्यायालय के रूप में, हम अभिजात्यवादी दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहेंगे कि सड़कों पर कोई भी भिखारी नहीं होना चाहिए।” शीर्ष अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी दो सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका में महामारी के बीच भिखारियों और आवारा लोगों के पुनर्वास, उनके टीकाकरण और उन्हें आश्रय और भोजन उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है।