NCERT का नया मॉड्यूल: भारत विभाजन के लिए जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन जिम्मेदार

Edited By Updated: 16 Aug, 2025 05:50 PM

ncert released a new special module on the partition of india

NCERT ने भारत के विभाजन को लेकर एक नया विशेष मॉड्यूल जारी किया है। इस मॉड्यूल में जो 'Partition Disaster Memorial Day' के लिए तैयार किया गया है।

नेशनल डेस्क : NCERT ने भारत के विभाजन को लेकर एक नया विशेष मॉड्यूल जारी किया है। इस मॉड्यूल में जो 'Partition Disaster Memorial Day' के लिए तैयार किया गया है। भारत के विभाजन के लिए तीन प्रमुख पक्षों को जिम्मेदार ठहराया गया है: मोहम्मद अली जिन्ना, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन।

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मॉड्यूल में क्या कहा गया है?

 NCERT ने दो अलग-अलग मॉड्यूल प्रकाशित किए हैं। एक कक्षा 6 से 8 के लिए और दूसरा कक्षा 9 से 12 के लिए। ये नियमित पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि पूरक सामग्री के रूप में उपयोग किए जाएंगे।

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  • जिम्मेदार पक्ष: मॉड्यूल में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विभाजन के लिए "जिन्ना, जिन्होंने इसकी मांग की। कांग्रेस, जिसने इसे स्वीकार किया और माउंटबेटन, जिन्होंने इसे लागू किया" जिम्मेदार थे।
  • नेहरू और पटेल का फैसला: इसमें उल्लेख है कि जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल ने गृहयुद्ध के डर से विभाजन को स्वीकार किया। यह भी बताया गया है कि पहले महात्मा गांधी ने इसका विरोध किया था, लेकिन बाद में वे भी सहमत हो गए।
  • विभाजन का कारण: माध्यमिक स्तर के मॉड्यूल में विभाजन का कारण मुस्लिम नेताओं की "राजनीतिक इस्लाम" में निहित एक अलग पहचान को बताया गया है। उनका मानना था कि यह गैर-मुसलमानों के साथ किसी भी स्थायी समानता को अस्वीकार करता है।
  • परिणाम: मॉड्यूल में विभाजन को "विश्व इतिहास में बेजोड़" बताते हुए कहा गया है कि इसने भारत की एकता को खंडित किया, पंजाब और बंगाल की अर्थव्यवस्थाओं को तबाह किया और बड़े पैमाने पर हत्याओं और विस्थापन को जन्म दिया। इसके कारण जम्मू-कश्मीर में भी अशांति फैल गई, जो बाद में आतंकवाद के कारण और भी बदतर हो गई।

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लंबे समय तक चलने वाला नुकसान

मॉड्यूल में एक खंड 'दीर्घकालिक क्षति - अभी भी जारी' के शीर्षक के तहत कहता है, "भारत को बाहरी शत्रुता और आंतरिक सांप्रदायिक विखंडन, दोनों का सामना करना पड़ रहा है। दो प्रमुख समुदायों के बीच वही संदेह और वैमनस्य अभी भी कायम है।" यह इंगित करता है कि विभाजन की भावनाएं आज भी समाज में मौजूद हैं।

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