Edited By Mehak,Updated: 28 Aug, 2025 12:06 PM

मिजोरम विधानसभा ने बुधवार को 'Mizoram Prohibition of Beggary Bill, 2025' को मंजूरी दे दी। यह कानून केवल भिखारियों पर रोक लगाना नहीं है, बल्कि उन्हें रोजगार और सहायता देकर समाज में पुनः खड़ा करना भी है। सोशल वेलफेयर मंत्री लालरिनपुई ने बताया कि...
नेशनल डेस्क : मिजोरम विधानसभा ने बुधवार को 'Mizoram Prohibition of Beggary Bill, 2025' को मंजूरी दे दी। यह कानून केवल भिखारियों पर रोक लगाना नहीं है, बल्कि उन्हें रोजगार और सहायता देकर समाज में पुनः खड़ा करना भी है।
कानून की खास बातें
सोशल वेलफेयर मंत्री लालरिनपुई ने बताया कि मिजोरम में फिलहाल भिखारियों की संख्या बहुत कम है। इसका कारण यहां का मजबूत सामाजिक ढांचा, चर्च और NGO की मदद और सरकारी योजनाएं हैं। लेकिन जल्द ही सैरांग-सिहमुई रेल लाइन शुरू होने वाली है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को करेंगे। इसके बाद बाहर से भिखारियों के आने की संभावना बढ़ सकती है।
बिल के तहत सरकार एक राहत बोर्ड बनाएगी और रिसीविंग सेंटर खोलेगी। इन केंद्रों में भिखारियों को अस्थायी रूप से रखा जाएगा और 24 घंटे के भीतर उन्हें उनके राज्य या घर भेज दिया जाएगा। सोशल वेलफेयर विभाग के सर्वे के मुताबिक, राजधानी आइज़ोल में इस समय लगभग 30 भिखारी हैं, जिनमें कई बाहर से आए हुए हैं।
विपक्ष और समर्थन
हालांकि, विपक्ष ने इस बिल पर आपत्ति जताई। MNF नेता लालचंदामा राल्ते ने कहा कि यह कानून राज्य की छवि को प्रभावित कर सकता है और मसीही आस्था के खिलाफ है। उनका सुझाव था कि भिखारियों की मदद में समाज और चर्च की भूमिका और मजबूत की जाए। वहीं, मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने स्पष्ट किया कि इस कानून का असली उद्देश्य भिखारियों को सज़ा देना नहीं है। बल्कि चर्च, NGO और सरकार की मदद से उनका पुनर्वास करना है, ताकि मिजोरम को भिक्षावृत्ति-मुक्त बनाया जा सके।