Nimisha Priya Case: भारतीय नर्स निमिशा प्रिया को मिली नई ज़िंदगी, टली मौत की सज़ा, जानें कैसे भारत के प्रयासों ने दिलाई जीत

Edited By Updated: 29 Jul, 2025 08:48 AM

nimisha priya saved from hanging a big victory for india

यमन में मौत की सज़ा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को जीवनदान मिल गया है। यमनी अदालत द्वारा सुनाई गई उनकी मौत की सज़ा को पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है। इस बात की जानकारी भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने...

नेशनल डेस्क। यमन में मौत की सज़ा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को जीवनदान मिल गया है। यमनी अदालत द्वारा सुनाई गई उनकी मौत की सज़ा को पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है। इस बात की जानकारी भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने दी है। हालांकि मुसलियार ने बताया कि अभी तक यमनी सरकार की ओर से लिखित पुष्टि नहीं हुई है लेकिन यह निश्चित है कि निमिषा की सज़ा को पहले स्थगित किया गया था और अब पूरी तरह रद्द कर दिया गया है।

 

कौन हैं निमिषा प्रिया?

निमिषा प्रिया मूल रूप से केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं और एक ईसाई परिवार से ताल्लुक रखती हैं। वह साल 2008 में नौकरी की तलाश में यमन गई थीं। वहीं उनकी जान-पहचान यमनी नागरिक तालाल अब्दो महदी से हुई और दोनों ने मिलकर एक क्लीनिक शुरू किया। कुछ समय बाद दोनों के रिश्तों में दरार आ गई और यहीं से निमिषा के जीवन में मुश्किलें शुरू हुईं।

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हत्या के आरोप में मिली थी फांसी की सज़ा

जानकारी के अनुसार तालाल अब्दो महदी ने निमिषा का उत्पीड़न शुरू कर दिया था। वह खुद को सार्वजनिक रूप से निमिषा का पति बताने लगा और अवैध तरीके से उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया ताकि वह भारत न लौट सके। यमन के अधिकारियों के अनुसार साल 2017 में निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए महदी को बेहोश करने की कोशिश की थी लेकिन इस दौरान महदी की मौत हो गई। यमन की पुलिस ने इस मामले में निमिषा को गिरफ्तार कर लिया। साल 2018 में यमन की अदालत ने निमिषा को दोषी ठहराया और साल 2020 में उसे फांसी की सज़ा सुनाई गई।

दिसंबर 2024 में यमन के राष्ट्रपति रशाद अल-आलीमी ने फांसी को मंजूरी दी थी और जनवरी 2025 में हूती विद्रोही नेता महदी अल-मशात ने भी इसकी पुष्टि कर दी थी।

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए प्रयास और सज़ा रद्द

निमिषा को बचाने के लिए केरल और देशभर के कई सामाजिक संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरजोर कोशिशें शुरू की थीं। इन प्रयासों में भारत सरकार और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। अब ग्रैंड मुफ्ती के कार्यालय की ओर से बताया गया है कि यमन में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद निमिषा की मौत की सज़ा रद्द कर दी गई है। यह उनके परिवार और उन्हें बचाने के लिए संघर्ष कर रहे सभी लोगों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। निमिषा की भारत वापसी का मार्ग अब प्रशस्त होता दिख रहा है।

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