Edited By Shubham Anand,Updated: 31 Aug, 2025 11:13 AM

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में खाद्य विभाग की जांच में पनीर सबसे ज्यादा मिलावटी पाया गया। 122 नमूनों में से 83 की रिपोर्ट आई, जिनमें 83% मानकों पर खरे नहीं उतरे और 40% असुरक्षित घोषित हुए। दूध के 43 में से 19, घी के 38% नमूने फेल रहे, जबकि मक्खन सुरक्षित...
नेशनल डेस्क : पनीर प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत माना जाता है और शाकाहारियों के लिए यह अक्सर प्रोटीन की दैनिक आवश्यकता को पूरा करने वाले सर्वोत्तम विकल्पों में से एक होता है। लेकिन हाल के दिनों में बाजार में बढ़ती मिलावट के चलते यह अहम प्रोटीन स्रोत खाद्य सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में आ गया है। नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 702 खाद्य वस्तुओं के नमूनों की जांच की गई, जिनमें पाया गया कि पनीर सबसे अधिक मिलावटी उत्पाद है। जांच में सामने आया कि पनीर के 83% नमूने गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पनीर के 83 नमूनों में से 40% को उपभोग के लिए असुरक्षित घोषित किया गया। इसके बाद अनाज आधारित उत्पादों का स्थान रहा, जहां 79 में से 36 नमूने परीक्षण में फेल हुए। अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच दोनों शहरों में किए गए 2721 निरीक्षणों और 520 छापों में से 3 नमूने असुरक्षित पाए गए।
खाद्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, पनीर के कुल 122 नमूने लिए गए, जिनमें से अब तक 83 की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है। इनमें से 83% नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे, जबकि 40% नमूने उपभोग के लिए खतरनाक पाए गए क्योंकि इनमें हानिकारक रसायन और अज्ञात तरल पदार्थ मौजूद थे। जांच में यह भी सामने आया कि दूध मिलावट के मामलों में दूसरे स्थान पर रहा, जहां 43 में से 19 नमूने घटिया या असुरक्षित पाए गए। वहीं घी की विफलता दर 38% रही, जबकि मक्खन ही एकमात्र ऐसा उत्पाद था जिसमें मिलावट का कोई मामला सामने नहीं आया।
जांच में मिली खतरनाक मिलावट
स्टार्च: पनीर को मोटा और कसावटदार बनाने के लिए मिलाया जाता है। इससे पोषण घटता है और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
डिटर्जेंट या सिंथेटिक दूध: घटिया या नकली पनीर बनाने में इस्तेमाल होते हैं। इनके सेवन से पेट में ऐंठन, मतली, उल्टी और लंबे समय में अंगों को नुकसान हो सकता है।
यूरिया या कास्टिक सोडा: आमतौर पर सिंथेटिक दूध में मिलाए जाते हैं और मिलावटी पनीर तैयार करने में उपयोग होते हैं। ये बेहद जहरीले होते हैं और किडनी व लिवर को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
अत्यधिक प्रिजर्वेटिव/फॉर्मेलिन: गर्मियों में शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए मिलाए जाते हैं। लंबे समय तक सेवन से कैंसर, लिवर डैमेज और एलर्जी का खतरा रहता है।
मिल्क पाउडर या रीकंस्टिट्यूटेड मिल्क सॉलिड्स: ताजे दूध की जगह इस्तेमाल किए जाते हैं, जिससे पनीर की ताजगी और प्राकृतिक पोषण पर असर पड़ता है।