Edited By Seema Sharma,Updated: 19 Mar, 2023 03:36 PM

भारती इंटरप्राइज समर्थित संचार कंपनी वनवेब पृथ्वी की निचली कक्षा में 600 से अधिक उपग्रहों का समूह पूरा करने से महज एक कदम दूर है जिससे अंतरिक्ष से दुनिया के कोने-कोने तक ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं मुहैया कराने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
नेशनल डेस्क: भारती इंटरप्राइज समर्थित संचार कंपनी वनवेब पृथ्वी की निचली कक्षा में 600 से अधिक उपग्रहों का समूह पूरा करने से महज एक कदम दूर है जिससे अंतरिक्ष से दुनिया के कोने-कोने तक ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं मुहैया कराने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। ब्रिटिश सरकार, भारती इंटरप्राइज, यूटेलसैट, सॉफ्टबैंक, ह्यूज्स नेटवर्क्स और हनव्हा द्वारा समर्थित वनवेब ने 50 डिग्री उत्तरी अक्षांश से ऊपर स्थित देशों -अलास्का, कनाडा, ग्रीनलैंड, ब्रिटेन और उत्तरी यूरोप में अंतरिक्ष से इंटरनेट मुहैया कराने की सेवाएं शुरू की हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का प्रक्षेपण यान मार्क-3 (LVM 26 मार्च को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से वनवेब के 36 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की तैयारी में है। वनवेब के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम वैश्विक कवरेज पाने से एक प्रक्षेपण दूर हैं। ISRO/NSIL के साथ इस आखिरी प्रक्षेपण से अंतरिक्ष में 600 से अधिक उपग्रह हो जाएंगे।'' न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) इसरो की वाणिज्यिक शाखा है जिसे अंतरिक्ष सेवाओं की आपूर्ति के लिए उद्योग के जरिए बने रॉकेट और उपग्रह हासिल करने का भी जिम्मा दिया गया है।
अगर मौसम अनुकूल रहता है तो इसरो का LVM3 वनवेब के 36 उपग्रहों को 26 मार्च को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करेगा। यह दूसरी बार होगा जब वनवेब इसरो के उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं का इस्तेमाल कर रहा है। वनवेब के पहले 36 उपग्रह पिछले साल 23 अक्टूबर को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किये गए थे। प्रवक्ता ने कहा कि इस साल के अंत तक हमारी दुनियाभर में सेवाएं शुरू करने की योजना है।'' वनवेब की इस साल के अंत में भारत में सेवाएं शुरू करने की योजना है लेकिन यह नियामक मंजूरी पर निर्भर करेगा। उसने दूरसंचार विभाग से GMPCS (उपग्रह सेवाओं द्वारा वैश्विक मोबाइल निजी संचार) परमिट हासिल कर लिया है।