Edited By Parveen Kumar,Updated: 07 Nov, 2025 06:30 PM

आतंक का पनाहगार पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को “बेचारा” साबित करने में जुट गया है। अप्रैल में हुए पहलगाम हमले के बाद जब भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित किया, तो पाकिस्तान तिलमिला उठा। अब उसने संयुक्त राष्ट्र...
नेशनल डेस्क: आतंक का पनाहगार पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को “बेचारा” साबित करने में जुट गया है। अप्रैल में हुए पहलगाम हमले के बाद जब भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित किया, तो पाकिस्तान तिलमिला उठा। अब उसने संयुक्त राष्ट्र में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाते हुए संधि बहाली की मांग की है।
दरअसल, अप्रैल में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या की थी। इस हमले के जवाब में भारत ने निर्णायक कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि निलंबित कर दी। अब पाकिस्तान इसे “प्राकृतिक संसाधनों के हथियारकरण” का नाम देकर अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि आसिम इफ्तिखार अहमद ने भारत के खिलाफ बयानबाजी करते हुए कहा कि “भारत का एकतरफा फैसला” संधि की भावना को कमजोर करता है और इससे लाखों लोगों की आजीविका खतरे में है। उन्होंने यहां तक कहा कि भारत की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय जल कानूनों पर भरोसे को कमजोर कर रही है।
1960 में हुई इस संधि के तहत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों का बंटवारा हुआ था- जिसमें पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चेनाब) पाकिस्तान को और पूर्वी नदियां (रावी, व्यास, सतलज) भारत को दी गई थीं। अब पाकिस्तान का कहना है कि भारत को “संधि का पूरा पालन” करना चाहिए और “एकतरफा निलंबन” का कोई अधिकार नहीं है।
भारत का रुख हालांकि स्पष्ट है- बातचीत और आतंकवाद साथ नहीं चल सकते। सीमा पार से जारी आतंक के बीच पाकिस्तान की बातचीत या संधि बहाली की अपील को भारत ने सिरे से ठुकरा दिया है। भारत का संदेश साफ है- ना आतंक बर्दाश्त होगा, ना पानी यूं ही बहाया जाएगा।