पीके की पार्टी का चौंकाने वाला दावा! NDA ने बिहार में महिलाओं के लिए लुटाए वर्ल्ड बैंक के 14 हजार करोड़

Edited By Updated: 16 Nov, 2025 01:55 PM

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जन सुराज के पवन वर्मा ने आरोप लगाया है कि विश्व बैंक द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट फंड का इस्तेमाल बिहार चुनाव के दौरान किया गया। उनके अनुसार 14,000 करोड़ रुपये महिलाओं के खातों में आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले ट्रांसफर किए गए। यह राशि मुख्यमंत्री...

नेशनल डेस्क : जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता और वरिष्ठ रणनीतिकार पवन वर्मा ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि विश्व बैंक द्वारा किसी प्रोजेक्ट के लिए आवंटित धनराशि का उपयोग बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में किया गया। वर्मा के अनुसार, इस फंड को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत बिहार की 1.25 करोड़ महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल किया गया। उन्होंने इस धन के स्रोत और वितरण के समय पर सवाल उठाए।

विश्व बैंक के 21,000 करोड़ के फंड पर सवाल
एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में वर्मा ने कहा, "बिहार का सरकारी कर्ज 4,06,000 करोड़ रुपये है, और प्रतिदिन 63 करोड़ रुपये का ब्याज देना पड़ता है। राज्य का खजाना खाली है। हमें जानकारी मिली है कि 1.25 करोड़ महिलाओं को दिए गए 10,000 रुपये विश्व बैंक से किसी अन्य प्रोजेक्ट के लिए आए 21,000 करोड़ रुपये से ट्रांसफर किए गए।" उन्होंने यह भी दावा किया कि चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक एक घंटे पहले 14,000 करोड़ रुपये निकाले गए और महिलाओं के खातों में बांट दिए गए। हालांकि, वर्मा ने स्पष्ट किया, "अगर यह जानकारी गलत है, तो मैं क्षमा मांगता हूं, लेकिन अगर यह सच है, तो यह कितना नैतिक है?"

चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने का आरोप
वर्मा ने कहा कि इस तरह के फंड ट्रांसफर से मतदाता प्रभावित होते हैं। उन्होंने बताया कि बिहार में 4 करोड़ महिला मतदाता हैं, जिनमें से 2.5 करोड़ को यह राशि नहीं मिली। इससे बाकी महिलाओं में यह धारणा बनी कि अगर एनडीए सत्ता में नहीं आई, तो उन्हें लाभ नहीं मिलेगा। वर्मा ने सुझाव दिया कि सरकारें कानूनी रूप से धन का पुनर्वितरण कर सकती हैं और बाद में इसे सही ठहरा सकती हैं, लेकिन चुनाव के दौरान ऐसी रणनीति नैतिक रूप से सवाल उठाती है।

महिला रोजगार योजना ने बदले समीकरण
वर्मा ने माना कि अचानक हुए इस वित्तीय वितरण ने जन सुराज के अभियान को प्रभावित किया। उन्होंने कहा, "एक नई पार्टी के रूप में हमारा संदेश सही था और प्रतिक्रिया अच्छी थी, लेकिन इस योजना ने हमारे प्रयासों को कमजोर किया।" उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की मुफ्त योजनाओं की आलोचना का जिक्र करते हुए कहा, "मोदी जी ने खुद दिल्ली में केजरीवाल के मुफ्त वितरण की आलोचना की थी, लेकिन बिहार में क्या हुआ?"

शराबबंदी बयान से नुकसान की बात खारिज
वर्मा ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के शराबबंदी हटाने वाले बयान को पार्टी के खराब प्रदर्शन का कारण मानने से इनकार किया। उन्होंने कहा, "बिहार में शराबबंदी केवल प्रतीकात्मक है। शराब हर गली-मोहल्ले में ऊंचे दामों पर बिक रही है। इससे घरों की आर्थिक स्थिति खराब हुई है।" उन्होंने यह भी बताया कि शराबबंदी कानून के तहत 2 लाख से अधिक लोग, खासकर अति पिछड़े और दलित, जेल में हैं और कई जमानत का खर्च नहीं उठा सकते। वर्मा ने कहा कि एनडीए की महिला-केंद्रित नीतियों और अंतिम समय में किए गए 10,000 रुपये के ट्रांसफर ने उनकी जीत में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, "हमारी हार का कारण नीतीश जी की महिलाओं के लिए नीतियां और यह फंड ट्रांसफर था।"

बिहार चुनाव 2025 के परिणाम
243 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद जन सुराज एक भी सीट नहीं जीत सकी। एनडीए ने 202 सीटों के साथ शानदार जीत हासिल की। भाजपा 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, जेडी(यू) ने 85 सीटें जीतीं, एलजेपी(आरवी) ने 19, हमसफ ने 5 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने 4 सीटें हासिल कीं। वहीं, राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को केवल 35 सीटें मिलीं, जिसमें राजद को 25, कांग्रेस को 6, सीपीआई(एमएल)(एल) को 2, भारतीय समावेशी पार्टी को 1 और सीपीआई(एम) को 1 सीट मिली। वर्मा के आरोपों ने बिहार चुनाव में फंड के उपयोग और चुनावी नैतिकता पर बहस छेड़ दी है। विश्व बैंक के फंड के कथित दुरुपयोग की जांच की मांग उठ रही है, और यह मामला आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है।
 

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