दिल्ली-NCR में प्रदूषण का कहर! क्या डैमेज हुए फेफड़े दोबारा ठीक हो सकते हैं? जानिए डॉक्टर्स का चौंकाने वाला जवाब

Edited By Updated: 05 Nov, 2025 06:33 PM

pollution wreaks havoc in delhi ncr can damaged lungs heal

दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है और इसके कारण फेफड़ों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों की कार्यक्षमता धीमी हो सकती है और कुछ मामलों में यह...

नेशनल डेस्क: दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है और इसके कारण फेफड़ों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों की कार्यक्षमता धीमी हो सकती है और कुछ मामलों में यह स्थायी नुकसान भी कर सकता है।

प्रदूषण से फेफड़ों को कैसे नुकसान होता है
गुरुग्राम के सीके बिड़ला हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी हेड, डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर बताते हैं कि वायु में मौजूद PM2.5, PM10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन जैसे हानिकारक कण सांस के जरिए गहराई तक फेफड़ों में पहुंचते हैं। ये कण फेफड़ों में जलन, सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं, जिससे फेफड़ों की संरचना और काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।

सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को है:
➤ बच्चे और बुजुर्ग
➤ धूम्रपान करने वाले
➤ पुरानी दिल या फेफड़ों की बीमारी वाले मरीज
➤ गर्भवती महिलाएं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग
➤ फेफड़ों के खराब होने के शुरुआती लक्षण
➤ लगातार सूखी खांसी या गले में खराश
➤ हल्की मेहनत में भी सांस फूलना
➤ छाती में भारीपन या सीटी जैसी आवाज
➤ बलगम बढ़ना


थकान या ऊर्जा की कमी
इसके अलावा, बार-बार सर्दी-जुकाम, नाक बंद रहना और आंखों में जलन जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। यदि ये लक्षण कुछ हफ्तों से ज्यादा समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से जांच जरूरी है।
क्या फेफड़े दोबारा ठीक हो सकते हैं? डॉ. ग्रोवर के अनुसार, फेफड़ों में खुद को रिपेयर करने की क्षमता होती है, खासकर जब उन्हें प्रदूषण और धुएं से राहत मिले। साफ हवा में रहने से कुछ महीनों या सालों में फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार आ सकता है। हालांकि यदि नुकसान पुराना या गंभीर हो, जैसे COPD (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज़) की स्थिति, तो पूरी तरह ठीक होना मुश्किल है। लेकिन सही इलाज और सावधानी से स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।


प्रदूषण में फेफड़ों को हेल्दी रखने के उपाय
➤ घर में HEPA फिल्टर वाला एयर प्यूरिफायर इस्तेमाल करें
➤ बाहर जाने पर N95 या KN95 मास्क पहनें


धूम्रपान और सेकंडहैंड स्मोक से बचें
➤ साफ हवा वाले माहौल में हल्की ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें
➤ दिनभर पर्याप्त पानी पिएं ताकि फेफड़ों में जमा गंदगी साफ हो
➤ डीप ब्रीदिंग (डायफ्रामैटिक ब्रीदिंग) प्रैक्टिस करें
➤ जब AQI बहुत खराब हो, तो बाहर की एक्टिविटी कम करें


कौन सबसे ज्यादा खतरे में है
➤ बच्चे – फेफड़े अभी डेवलप हो रहे हैं और सांस तेजी से लेते हैं
➤ बुजुर्ग – फेफड़ों की क्षमता कम हो चुकी होती है
➤ अस्थमा या COPD मरीज – प्रदूषण बढ़ने से लक्षण गंभीर हो सकते हैं
➤ दिल या डायबिटीज़ के मरीज – प्रदूषण से शरीर में सूजन बढ़ती है


प्रदूषण से खांसी या सांस फूलने की पहचान
थोरेसिक एंड लंग ट्रांसप्लांट सर्जन, डॉ. हर्षवर्धन पुरी बताते हैं कि बार-बार खांसी होना, हल्की मेहनत में सांस फूलना या AQI बढ़ने पर लक्षण दिखना प्रदूषण के कारण फेफड़ों को नुकसान पहुंचने का संकेत हो सकता है। यदि बुखार या गले में दर्द नहीं है, तो यह वायरल इंफेक्शन नहीं बल्कि प्रदूषण की वजह से हो सकता है।

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