Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana: 55 करोड़ से ज़्यादा खातों के साथ जन-धन बना दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय योजना

Edited By Updated: 04 Aug, 2025 03:31 PM

pradhan mantri jan dhan yojana transforms india financial landscape

भारत में आज लगभग हर व्यक्ति का बैंक खाता होना आम बात है, लेकिन आज़ादी के 65 साल बाद भी, लगभग एक दशक पहले तक, देश के करीब आधे परिवारों के लिए बैंकिंग तक पहुँच एक सपना था। गरीब और वंचित लोग, खासकर ग्रामीण इलाकों में, औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से दूर थे,...

नेशनल डेस्क : भारत में आज लगभग हर व्यक्ति का बैंक खाता होना आम बात है, लेकिन आज़ादी के 65 साल बाद भी, लगभग एक दशक पहले तक, देश के करीब आधे परिवारों के लिए बैंकिंग तक पहुँच एक सपना था। गरीब और वंचित लोग, खासकर ग्रामीण इलाकों में, औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से दूर थे, इसलिए उनके पास अपनी बचत घर पर रखने और अत्यधिक ब्याज दर वसूलने वाले साहूकारों से ऋण लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। वित्तीय सुरक्षा के इस अभाव का मतलब था कि वे बेहतर भविष्य की कल्पना भी नहीं कर सकते थे।

देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने भी कहा था, कि गरीबों के लिए निर्धारित 100 पैसे के लाभ में से केवल 15 पैसे ही असली लाभार्थी तक पहुँचते थे और बाकी 85 पैसे बिचौलिए हड़प जाते थे।

जन धन योजना- एक क्रांतिकारी बदलाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 में शुरू की गई विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना-प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) की शुरुआत एक क्रांतिकारी बदलाव साबित हुई। 28 अगस्त 2025 को यह योजना अपनी 11वीं वर्षगांठ पूरी करेगी, और इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि इसने देश के करोड़ों लोगों, विशेषकर महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों को देश की आर्थिक मुख्यधारा में शामिल कर सम्मानजनक जीवन प्रदान किया है।

वित्तीय समावेशन

जन-केंद्रित योजनाओं जैसे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, पीएम-किसान, मनरेगा में बढ़ी मज़दूरी और बीमा कवर की नींव पर, प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल बन गई है।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना की सफलता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि PMJDY के अंतर्गत अब तक 55.90 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं, जबकि मार्च 2015 में यह संख्या 14.72 करोड़ थी। इनमें से 67% खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। जन-धन खाते 

बचत व डिजिटल लेनदेन की आदतों को बढ़ावा देते हैं, जिससे जमा राशि मार्च 2015 के 15,670 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर अब 2.63 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

कमज़ोर वर्गों का सशक्तिकरण

ज़ीरो बैलेंस खाता, निःशुल्क RuPay कार्ड पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा और 10,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा जैसी सेवाओं के ज़रिए पीएमजेडी वीई PMJDY ने कमजोर वर्गों और निम्न-आय समूहों को सशक्त बनाया है।

अटल पेंशन योजना (APY) में भारी वृद्धि के साथ नामांकन जनवरी 2025 तक 7.33 करोड़ तक पहुँच गया। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) में 22.52 करोड़ नामांकन हुए, जिनमें 8.8 लाख दावों पर 17,600 करोड़ वितरित किए गए। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) ने 49.12 करोड़ लोगों को कवर किया, और 2,994.75 करोड़ रुपये के दुर्घटना दावे निपटाए।

बिचौलियों का खात्मा

जन-धन, आधार और मोबाइल (जेएएम) त्रिमूर्ति, में पीएमजेडीवाई एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है, जिससे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से बिचौलियों का सफाया हुआ, जो दशकों से जनता को लूट रहे थे। जनधन खातों के माध्यम से अब 321 सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुँच रहा है,जबकि 2013-14 में यह संख्या 28 थी।  इनमें आयुष्मान भारत, किसानों के लिए पीएम-किसान, रेहड़ी-पटरी वालों के लिए पीएम स्वनिधि, फसल बीमा योजना, गरीब कल्याण योजना, पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना या दीनदयाल अंत्योदय जैसी प्रमुख योजनाएँ शामिल हैं।

DBT के तहत कुल हस्तांतरित राशि 7,400 करोड़ (2013-14) से बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपये गई है। अनुमान है कि इससे सरकार को 4.31 लाख करोड़ की बचत और पिछले नौ वर्षों में लगभग 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से मुक्ति मिली है।

ऋण तक आसान पहुँच:

जन धन योजना (PMJDY) ने गरीबों को सूदखोर साहूकारों से मुक्ति दिलाई है क्योंकि  अब जन धन खाताधारक बैंकिंग सुविधाओं और ऋण योजनाओं के पात्र हैं। मुद्रा योजना के तहत स्वीकृत ऋण 2018-19 से 2023-24 तक 9.8% चक्रवृद्धि वार्षिक दर से बढ़े हैं, जिससे लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जुड़कर अपनी आय बढ़ाने का अवसर मिला है।

महिला सशक्तिकरण

प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) महिलाओं के सशक्तिकरण के एक सशक्त माध्यम के रूप में उभरी है, खासकर असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं, जिनकी औपचारिक वृद्धावस्था आय 

सुरक्षा योजनाओं तक पहुँच नहीं थी। उनकी अनियमित आय और सामाजिक सुरक्षा की कमी ने उनकी वित्तीय स्थिति को और भी कमजोर किया था।

पीएमजेडीवाई ने महिलाओं को वित्तीय समावेशन के तहत लाकर आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है। यह इस बात से स्पष्ट है कि कुल जन धन खातों में से 30.37 करोड़ (55.7%) खाते महिलाओं के हैं। पीएमजेडीवाई ने महिलाओं को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना जैसी  सामाजिक सुरक्षा और ऋण योजनाओं से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है।

नवंबर 2023 तक प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत स्वीकृत 44.46 करोड़ ऋणों में से 69% ऋण महिलाओं को दिए गए हैं, जिनकी औसत राशि 2015-16 के 39,000 से बढ़कर 2023-24 में 1 लाख रुपये हो गई है। वहीं, 27 जनवरी 2025 तक, स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत 1.94 लाख महिला उद्यमियों को लाभ मिला है, और बैंकों ने महिलाओं और अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 62,426.52 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।

डिजिटल सफलता

पीएमजेडीवाई ने 38 करोड़ से ज़्यादा निःशुल्क रुपे कार्ड जारी करने और 79.61 लाख पीओएस/एमपीओएस मशीनों की स्थापना की है। बैंकिंग सेवाओं की घर-घर पहुँच के लिए भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ यूपीआई जैसी मोबाइल-आधारित भुगतान प्रणालियों की शुरुआत और रुपे कार्ड के माध्यम से यूपीआई लेनदेन वित्त वर्ष 2017-18 में 92 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 8,371 करोड़ रुपये हो गया है। इसी प्रकार, पीओएस और ई-कॉमर्स पर रुपे कार्ड लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2016-17 में 28.28 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 126 करोड़ रुपये हो गई है।

भारत आज कुल भुगतान मात्रा में 48.5% हिस्सेदारी के साथ रीयल-टाइम भुगतान में एक वैश्विक अग्रणी है, जिसमें पीएमजेडीवाई करोड़ों वंचित लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

वैश्विक मान्यता

प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) को वित्तीय समावेशन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। विश्व बैंक की ग्लोबल फाइंडेक्स 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 89% वयस्कों के पास बैंक खाता है, जो 2011 में केवल 35% था। विश्व बैंक की G20 रिपोर्ट से पता चला है कि भारत ने केवल 6 वर्षों में वह लक्ष्य हासिल कर लिया, जिसे हासिल करने में सामान्यतः 47 वर्ष लगते। 1.80 करोड़ बैंक खाते खोलकर भारत ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। SBI की 2021 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने वित्तीय समावेशन में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। 

सुझाव

  • जागरूकता अभियान: बैंक खातों के लाभों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान अभियान चलाएं।
  • बैंक नेटवर्क विस्तार: बैंकिंग सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करने के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंक शाखाओं के नेटवर्क का विस्तार करें।
  • सहकारी बैंकों का सशक्तिकरण : ग्रामीण भारत की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सहकारी बैंकों को आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए मजबूत किया जाना चाहिए।
  • वित्तीय साक्षरता: लाभार्थियों को जन धन योजना का लाभ उठाने में सक्षम बनाने के लिए डिजिटल और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए।
  • विशेष वित्तीय उत्पाद डिज़ाइन: वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए पीएमजेडीवाई खाताधारकों की जरूरतों के अनुरूप सरल और नवीन वित्तीय उत्पाद तैयार किए जाएं।

करोड़ों व्यक्तियों, विशेषकर  वंचित वर्ग को सशक्त बनाकर, पीएमजेडीवाई ने 2047 तक विकसित भारत के लिए समावेशी आर्थिक विकास की मजबूत नींव रखी है। अब समय है कि प्रत्येक नागरिक को भारत की आर्थिक प्रगति में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए अपना योगदान दे।

 

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!