कोणार्क मंदिर के जैसे ही रामलला के गर्भगृह को भी सूर्य की किरणें करेंगी रोशन, चल रहा इस प्रोजेक्ट पर काम

Edited By Updated: 17 Oct, 2021 12:49 PM

preparations to illuminate ram mandir sanctorum with rays of the sun

अयोध्या में बन रहे राममंदिर में अनेक खूबियों के साथ-साथ रामलला के गर्भगृह को सूर्य की किरणों से प्रकाशमय करने की तैयारी है और इसके लिए ओडिशा के कोणार्क मंदिर जैसी विशिष्ट तकनीक को अपनाने पर विचार किया जा रहा है।

नेशनल डेस्क: अयोध्या में बन रहे राममंदिर में अनेक खूबियों के साथ-साथ रामलला के गर्भगृह को सूर्य की किरणों से प्रकाशमय करने की तैयारी है और इसके लिए ओडिशा के कोणार्क मंदिर जैसी विशिष्ट तकनीक को अपनाने पर विचार किया जा रहा है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि भगवान राम के मंदिर में प्रत्येक रामनवमी पर गर्भगृह में सूर्य की किरणें रामलला को सुशोभित करें, ऐसे एक प्रस्ताव पर काम चल रहा है।'' उन्होंने बताया कि राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और प्रत्येक रामनवमी पर गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा तक सूर्य की किरणें सीधे पहुंचे इसके लिए कुछ प्रारूपों (मॉडल) पर वैज्ञानिकों, खगोल शास्त्रियों तथा तकनीकीविदों से परामर्श चल रहा है।

 

चौपाल ने बताया कि ओडिशा स्थित कोणार्क का सूर्य मंदिर उदाहरण है जहां मंदिर के अंदर सूर्य की किरणें पहुंचती हैं। ऐसे में गर्भगृह तक सूर्य की किरणें कैसे पहुंचे, इसको लेकर सभी तकनीकी पहलुओं और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पर विचार किया जा रहा है।'' न्यास के सदस्य ने बताया कि मंदिर निर्माण से जुड़े तकनीकी पहलुओं पर एक समिति बनाई गई है जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली, IIT मुम्बई, IIT रूड़की सहित राष्ट्रीय भवन निर्माण संस्थान के विशेषज्ञों एवं अन्य प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ शामिल हैं और इनसे भी परामर्श हो रहा है।

 

वहीं, ट्रस्ट के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य तेज गति से जारी है। ऐसा प्रयास किया जा रहा है कि दिसंबर 2023 तक गर्भ गृह का निर्माण पूरा हो जाए और लोग दर्शन कर सकें। इसके आगे विस्तार एवं भव्यता का और काम चलता रहेगा। उन्होंने बताया कि नींव का पहला चरण पूरा हो चुका है, जबकि दूसरा चरण नवंबर के मध्य तक खत्म हो जाएगा। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के दौरान भूगर्भीय, भौगोलिक एवं पारिस्थितिकी संबंधी स्थितियों सहित कई बातों पर ध्यान दिया जा रहा है । चौपाल ने बताया कि भूगर्भीय वर्गीकरण के अनुसार उत्तर प्रदेश भूकंप संवेदी क्षेत्र में आता है, मंदिर परिसर के पास नदी क्षेत्र है और सम्पूर्ण इलाका हिमालयी क्षेत्र के दायरे में आता है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों, खगोलशास्त्रियों से इन सभी विषयों पर परामर्श किया जा रहा है।

 

चौपाल ने बताया, ‘‘15 नवंबर से प्लिंथ (स्तंभ के आधार वाला हिस्सा) निर्माण का कार्य भी शुरू हो जाएगा। अप्रैल 2022 से प्लिंथ के उपर स्तम्भों एवं उपरी संरचना का निर्माण शुरू होने की उम्मीद है।'' उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण को लेकर पूर्व के नक्शे एवं मॉडल में कुछ बदलाव किये गए हैं। उनके मुताबिक पहले दो मंजिलों का निर्माण किया जाना था, अब तीन मंजिल का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 400 फीट लम्बाई तथा 300 फीट चौड़ाई में प्लिंथ का निर्माण किया जा रहा है तथा इस पर 365 फीट लम्बाई और 235 फीट चौड़ाई में 171 फीट ऊंचे मंदिर का निर्माण किया जायेगा। चौपाल ने बताया कि राम मंदिर में एक संग्रहालय, अभिलेख कक्ष, अनुसंधान केंद्र, सभागार, गौशाला, पर्यटन केंद्र, प्रशासनिक भवन, योग केंद्र और अन्य सुविधाएं शामिल की जाएंगी।

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