Edited By Sahil Kumar,Updated: 04 Nov, 2025 05:27 PM

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले का बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन 1960 में खोला गया था, लेकिन 1967 में रहस्यमयी घटनाओं और भूतिया अफवाहों के कारण बंद हो गया। स्टेशन मास्टर और उनका परिवार अचानक मृत पाए गए, जिससे लोग डर गए। 42 साल तक सन्नाटा पसरा रहा। 2009 में...
नेशनल डेस्कः भारतीय रेलवे की कई कहानियाँ लोगों के लिए हमेशा दिलचस्प रही हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में एक ऐसा रेलवे स्टेशन भी है, जिसे लंबे समय तक भूतिया स्टेशन कहा जाता रहा। 1960 में खोला गया यह बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन, केवल सात साल बाद 1967 में अचानक बंद हो गया था।
स्टेशन की स्थापना
बेगुनकोडोर स्टेशन की स्थापना में संथाल की रानी लाचन कुमारी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनका उद्देश्य आसपास के गांवों को रेलवे से जोड़ना था। स्टेशन शुरू में यात्रियों और ट्रेनों के लिए पूरी तरह काम कर रहा था। आसपास के गांवों के लोग स्टेशन की सुविधा से खुश थे।
भूतिया अफवाहों की शुरुआत
1967 में एक रात स्टेशन मास्टर और उनका पूरा परिवार रहस्यमयी तरीके से मारा गया। इसके बाद स्टेशन के बारे में अजीबोगरीब अफवाहें फैलने लगीं। लोगों का कहना था कि रात में सफेद साड़ी वाली लड़की का भूत पटरी पर दिखाई देता था। लोको पायलट डरकर ट्रेनें तेज गति से चलाते थे और कर्मचारी शाम होते ही स्टेशन छोड़ देते थे। यह खबर पुरुलिया से लेकर कोलकाता और दिल्ली तक फैल गई। रेलवे ने इसे भूतिया स्टेशन घोषित कर दिया और ट्रेनें यहाँ रुकना बंद कर दीं। यात्री भी स्टेशन पर जाने से डरते थे।
1967 से 2009 तक स्टेशन पूरी तरह बंद
1967 से 2009 तक बेगुनकोडोर स्टेशन पूरी तरह बंद रहा। इस दौरान स्टेशन पर जंगल उग आया, दीवारें टूट गईं और पटरी पर घास निकल आई। रेलवे रिकॉर्ड में इसे भारत के सबसे भूतिया स्टेशनों में गिना गया। सरकार और रेलवे अफसर कई बार जांच के प्रयास करने के बावजूद सफलता नहीं पा सके।
स्टेशन की पुनर्स्थापना
2009 में सरकार के आदेश पर रेलवे ने स्टेशन को साफ-सुथरा किया। सैनिटाइजेशन और सजावट के बाद ट्रेनें फिर से रुकने लगीं और कर्मचारी तैनात किए गए। वर्तमान में स्टेशन सामान्य रूप से काम कर रहा है। हालांकि स्थानीय लोग आज भी इसके इतिहास को लेकर थोड़ा डर महसूस करते हैं। न्यूज चैनलों द्वारा कैमरे से की गई जांच में कोई भूत नहीं दिखा। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह केवल अफवाहें थीं।