Edited By Radhika,Updated: 06 Nov, 2025 06:23 PM

अपने मनोरंजन के लिए फोन पर रील्स स्क्रोल करना आजकल काफी आम बात हो गई है। लोग रील्स देखने में घंटों बर्बाद कर देते हैं। ऐसे में इसी आदत से परेशान होकर एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से सलाह मांगी कि वे इस भटकाव से कैसे बचें। महाराज जी ने इसका सरल लेकिन...
नेशनल डेस्क: अपने मनोरंजन के लिए फोन पर रील्स स्क्रोल करना आजकल काफी आम बात हो गई है। लोग रील्स देखने में घंटों बर्बाद कर देते हैं। ऐसे में इसी आदत से परेशान होकर एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से सलाह मांगी कि वे इस भटकाव से कैसे बचें। महाराज जी ने इसका सरल लेकिन कारगर उपाय बताया है, जो आत्मसंयम पर आधारित है।
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मोबाइल पर नियंत्रण ही सबसे बड़ा साधन
प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि मोबाइल रखना बुरा नहीं है, यह एक उपयोगी साधन है। इस पर कंट्रोल रखना जरुरी है। अगर ऐसा न किया गया तो यह मन को विचलित कर देता है। उन्होंने सलाह दी कि "जब भी मोबाइल उठाओ, पहले यह तय कर लो कि मुझे क्या देखना है। यदि सत्संग सुनना है, तो केवल वही सुनो।"महाराज जी ने कहा कि सत्संग समाप्त होते ही तुरंत मोबाइल बंद कर दें। लगातार स्क्रीन चलाने से मन भटकता है और आप मनोरंजन की रीलों में खो जाते हैं।

आत्मसंयम और दृढ़ संकल्प ही उपाय
महाराज जी ने समझाया कि आत्मसंयम ही इस समस्या का सबसे बड़ा उपाय है। हर व्यक्ति में अपने मन को नियंत्रित करने की शक्ति होती है, बस हिम्मत और दृढ़ संकल्प की ज़रूरत है। यदि हम यह ठान लें कि हमें केवल सकारात्मक, ज्ञानवर्धक और आध्यात्मिक सामग्री ही देखनी है, तो धीरे-धीरे मन भी उसी दिशा में ढल जाएगा। उन्होंने कहा, "मोबाइल को अपने ऊपर हावी मत होने दो। ज़रूरत पूरी होते ही मोबाइल बंद कर दो और संभव हो तो स्विच ऑफ कर दो ताकि मन को शांति मिले।" महाराज जी के अनुसार बिना नियंत्रण के मोबाइल न केवल समय बर्बाद करता है, बल्कि मन की शुद्धता और एकाग्रता को भी भंग कर देता है।
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सच्चे सत्संग की पहचान
अंत में प्रेमानंद महाराज ने सच्चे सत्संग का अर्थ समझाया। उन्होंने कहा कि भगवान के प्रति प्रेम का प्रमाण केवल सत्संग सुनना नहीं है, बल्कि उसमें बताए गए मार्ग पर चलना है। संयम, नियंत्रण और आत्मविकास ही सच्चे सत्संग की असली पहचान है।