Edited By Parveen Kumar,Updated: 01 Feb, 2023 09:24 PM

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को व्हाट्सऐप को निर्देश दिया कि केंद्र सरकार को 2021 में दिए गए अपने इस हलफनामे को व्यापक रूप से सार्वजनिक करे कि वह उसकी नयी निजता नीति पर सहमति नहीं जताने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए उपयोग की सीमा तय नहीं करेगा।
नेशनल डेस्क : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को व्हाट्सऐप को निर्देश दिया कि केंद्र सरकार को 2021 में दिए गए अपने इस हलफनामे को व्यापक रूप से सार्वजनिक करे कि वह उसकी नयी निजता नीति पर सहमति नहीं जताने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए उपयोग की सीमा तय नहीं करेगा। व्हाट्सऐप ने 22 मई, 2021 को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को लिखे एक पत्र में सरकार को आश्वासन दिया था कि उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है और यह उपयोग की सीमा तय नहीं करेगी।
शीर्ष अदालत कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी नामक छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें व्हाट्सऐप और उसकी मूल कंपनी फेसबुक के बीच उपयोगकर्ताओं की कॉल, तस्वीरें, संदेश, वीडियो और दस्तावेजों को उपलब्ध कराने के लिए हुए समझौते को चुनौती दी गई थी और इसे लोगों की निजता तथा बोलने की आजादी का उल्लंघन करार दिया गया था। न्यायमूर्ति के एम जोसफ के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने व्हाट्सऐप से कहा कि सरकार को दिए गए हलफनामे को सार्वजनिक करने के लिए पांच अखबारों में विज्ञापन दिया जाए।
पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार भी शामिल रहे। पीठ ने कहा, ‘‘हम पत्र में (सरकार को लिखे गए) अपनाए गए रुख पर संज्ञान ले रहे हैं और व्हाट्सऐप के वरिष्ठ वकील की दलीलों पर संज्ञान ले रहे हैं कि वे सुनवाई की अगली तारीख तक पत्र की शर्तों का पालन करेंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम व्हाट्सऐप को यह निर्देश भी देते हैं कि इस पहलू के बारे में पांच राष्ट्रीय अखबारों में दो बार व्हाट्सऐप के उपभोक्ताओं को जानकारी दी जाए।''
पीठ ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 11 अप्रैल की तारीख निर्धारित की। केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि संसद भी व्हाट्सऐप मामले को देख सकती है। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह विधायिका के कामकाज को नहीं देख रही है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संसद के बजट सत्र के दूसरे भाग में डेटा संरक्षण विधेयक पेश किया जाएगा। मैसेजिंग ऐप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत को संसद द्वारा विधेयक पारित होने का इंतजार करना चाहिए।