Edited By Pardeep,Updated: 28 Mar, 2023 11:47 PM

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि नशीले पदार्थों के व्यावसायिक मात्रा के कारोबार से जुड़े एक आरोपी को तब तक जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि अदालत इस बात से संतुष्ट न हो जाए कि इस बात के उचित आधार मौजूद हैं कि संबंधित व्यक्ति दोषी नहीं है और...
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि नशीले पदार्थों के व्यावसायिक मात्रा के कारोबार से जुड़े एक आरोपी को तब तक जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि अदालत इस बात से संतुष्ट न हो जाए कि इस बात के उचित आधार मौजूद हैं कि संबंधित व्यक्ति दोषी नहीं है और उसके अपराध करने की संभावना नहीं है।
न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उसने स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) कानून के तहत आरोपी व्यक्ति को जमानत पर रिहा कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी के पास से बरामद गांजे की मात्रा व्यावसायिक मात्रा की है और उच्च न्यायालय ने ऐसा कोई निष्कर्ष दर्ज नहीं किया है कि वह प्रथम दृष्टया कथित अपराध का दोषी नहीं है या जब उसे जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा तो उसके ऐसा अपराध करने की संभावना नहीं है।