Urban Heart Syndrome: सावधान! दिल के लिए खामोश खतरा बन रहा अर्बन हार्ट सिंड्रोम, शरीर में चुपचाप बना रहा जगह

Edited By Updated: 06 Aug, 2025 02:55 PM

urban heart syndrome the silent threat to city hearts

शहरों में तेज़ रफ्तार ज़िंदगी, 24x7 काम का दबाव, तनाव और बिगड़ी दिनचर्या अब सिर्फ थकान का कारण नहीं रह गए हैं। यह सब मिलकर एक ऐसे खतरनाक सिंड्रोम को जन्म दे रहे हैं जो धीरे-धीरे दिल की सेहत को कमजोर बना रहा है। इसे अर्बन हार्ट सिंड्रोम कहा जा रहा...

नेशनल डेस्क: शहरों में तेज़ रफ्तार ज़िंदगी, 24x7 काम का दबाव, तनाव और बिगड़ी दिनचर्या अब सिर्फ थकान का कारण नहीं रह गए हैं। यह सब मिलकर एक ऐसे खतरनाक सिंड्रोम को जन्म दे रहे हैं जो धीरे-धीरे दिल की सेहत को कमजोर बना रहा है। इसे अर्बन हार्ट सिंड्रोम कहा जा रहा है। ये नई शहरी बीमारी चुपचाप शरीर में जगह बनाती है और जब तक इसका पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

क्या है अर्बन हार्ट सिंड्रोम?

अर्बन हार्ट सिंड्रोम कोई मेडिकल टर्म नहीं है, बल्कि यह आधुनिक शहरी जीवनशैली से जुड़ी एक गंभीर स्थिति को दर्शाने वाला शब्द है। यह उन आदतों और जीवनशैली से जुड़ा है जो आजकल महानगरों में आम होती जा रही हैं। लगातार तनाव में रहना, पूरी नींद न लेना, जंक और प्रोसेस्ड फूड का अत्यधिक सेवन, लंबे समय तक एक ही जगह बैठकर काम करना, शारीरिक गतिविधियों की कमी, बढ़ता प्रदूषण और कैफीन या एनर्जी ड्रिंक जैसे उत्तेजक पदार्थों का अत्यधिक सेवन — ये सभी कारक मिलकर दिल पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं। समय के साथ ये आदतें हार्ट फंक्शन को कमजोर करने लगती हैं और दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है।

क्यों खतरनाक है ये सिंड्रोम?

इस सिंड्रोम की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि इसके लक्षण इतने मामूली होते हैं कि लोग अक्सर उन्हें सामान्य थकान या रोज़मर्रा की परेशानी मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लगातार थकावट महसूस होना, नींद न आना या रात में बार-बार नींद टूटना, थोड़ा सा चलने पर ही सांस फूलना, दिल की धड़कन तेज़ होना और सीने में हल्का दर्द या घबराहट जैसे लक्षण इस स्थिति की शुरुआत के संकेत हो सकते हैं। हालांकि ये लक्षण गंभीर नहीं लगते, लेकिन समय पर इनका ध्यान न दिया जाए तो यही समस्याएं आगे चलकर हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर या अन्य हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों का रूप ले सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि इन संकेतों को हल्के में न लेकर समय रहते पहचानें और उचित जांच कराएं।

महिलाओं को क्यों है ज़्यादा खतरा?

शहरी महिलाओं को यह सिंड्रोम पुरुषों की तुलना में ज्यादा तेजी से प्रभावित कर रहा है, जिसके पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ी वजह यह है कि वे हार्ट डिज़ीज़ के पारंपरिक लक्षण जैसे सीने में दर्द महसूस नहीं करतीं। इसके बजाय उन्हें थकान, अपच, पीठ या जबड़े में दर्द और सांस फूलने जैसे सामान्य लक्षण होते हैं, जिन्हें अक्सर गंभीरता से नहीं लिया जाता। इसके अलावा घर और काम दोनों की जिम्मेदारियां संभालना और हार्मोनल बदलाव भी उनकी सेहत पर असर डालते हैं। इन कारणों से महिलाएं दिल की बीमारी के संकेतों को समय रहते पहचान नहीं पातीं, जिससे उनकी स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ती चली जाती है। इसलिए महिलाओं के लिए अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना और नियमित रूप से जांच कराना बेहद आवश्यक है।

क्यों बढ़ रहा है यह खतरा?

शहरी पीढ़ी की कुछ आदतें इस सिंड्रोम की सबसे बड़ी वजह बन रही हैं। इनमें देर रात तक जागना, घंटों स्क्रीन के सामने समय बिताना, लंबे समय तक बैठे रहकर काम करना, अत्यधिक कैफीन और एनर्जी ड्रिंक का सेवन करना, और नींद तथा आराम की कमी शामिल हैं। ये सभी आदतें शरीर के सर्कैडियन रिद्म, यानी प्राकृतिक बॉडी क्लॉक को प्रभावित करती हैं। जब शरीर को पर्याप्त नींद नहीं मिलती और वह लगातार तनाव में रहता है, तो इसका सीधा असर दिल की धड़कन, ब्लड प्रेशर और हार्ट फंक्शन पर पड़ता है, जिससे दिल की सेहत बिगड़ने लगती है।

कैसे बचें अर्बन हार्ट सिंड्रोम से?

इस ख़ामोश खतरे से बचना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसके लिए जीवनशैली में कुछ छोटे लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव करना जरूरी है। सबसे पहले, रोजाना कम से कम 30 मिनट चलना, योग या हल्की फिजिकल एक्टिविटी करना दिल की सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है। साथ ही नींद को प्राथमिकता देना आवश्यक है, इसलिए हर रात 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद लें और जल्दी सोने व जल्दी उठने की आदत डालें। खानपान में सुधार करते हुए जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, अधिक नमक और कैफीन से बचना चाहिए, और ताज़ा फल, हरी सब्जियां तथा घर का बना खाना अपनाना चाहिए। तनाव को कम करने के लिए ध्यान, मेडिटेशन और माइंडफुलनेस जैसी तकनीकों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इसके अलावा, दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीना दिल के लिए फायदेमंद होता है। अंत में, यदि परिवार में किसी को दिल की बीमारी रही है तो नियमित रूप से ECG, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की जांच कराते रहना चाहिए ताकि समय रहते किसी भी समस्या का पता चल सके और उचित इलाज हो सके।

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