Edited By Mehak,Updated: 01 Nov, 2025 04:49 PM

अगर किसी मरीज को गलती से गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ा दिया जाए, तो यह शरीर के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इससे बुखार, मतली, ठंड लगना, पीठ या छाती में दर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं। गलत ब्लड ग्रुप के कारण ब्लड सर्कुलेशन गड़बड़ा सकता है, जिससे...
नेशनल डेस्क : किसी मरीज को ब्लड चढ़ाने से पहले उसका ब्लड ग्रुप मिलाना बेहद जरूरी होता है। अगर गलती से गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ा दिया जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक, जब डोनर और मरीज के ब्लड ग्रुप में मेल नहीं होता, तो शरीर में कई तरह की प्रतिक्रियाएं शुरू हो जाती हैं, जो इम्यून सिस्टम, लिवर और किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं।
गलत ब्लड चढ़ने से क्या होता है
अगर किसी व्यक्ति को गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ा दिया जाए, तो शरीर उस खून को 'विदेशी तत्व' समझकर उस पर हमला करने लगता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन गड़बड़ा जाता है और कई अंग प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में मरीज को मतली, बुखार, ठंड लगना, छाती या पीठ के निचले हिस्से में दर्द, गहरे रंग का पेशाब और ब्लड प्रेशर में गिरावट जैसी दिक्कतें होने लगती हैं।
शरीर पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव
तेज बुखार (Fever) – गलत ब्लड के संपर्क में आने से शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया तेज हो जाती है, जिससे मरीज को तेज बुखार हो सकता है।
अत्यधिक ब्लीडिंग (Heavy Bleeding) – रक्त में प्रतिक्रिया होने से खून पतला या गाढ़ा हो सकता है, जिससे ब्लीडिंग बढ़ जाती है।
इंफेक्शन का खतरा – असंगत ब्लड संक्रमण का कारण बन सकता है, जिससे शरीर के अन्य हिस्सों में भी इन्फेक्शन फैल सकता है।
किडनी और दिल पर असर – यह स्थिति किडनी फेलियर या हार्ट प्रॉब्लम का कारण बन सकती है, खासकर अगर समय पर इलाज न मिले।
एलर्जी और स्किन रिएक्शन – कई मामलों में मरीज को खुजली, दाने या सूजन की शिकायत होती है।
ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट – गलत ब्लड ग्रुप से रक्त संचार प्रभावित होता है, जिससे मरीज को चक्कर, थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है।
पीलिया और त्वचा का पीला पड़ना – लाल रक्त कोशिकाएं टूटने लगती हैं, जिससे बिलीरुबिन बढ़ता है और शरीर पीला पड़ने लगता है।
इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ना – लगातार गलत ब्लड प्रतिक्रिया से इम्यून सिस्टम डैमेज हो सकता है, जिससे अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
क्या करें अगर गलत खून चढ़ जाए?
ऐसे मामलों में मरीज को तुरंत डॉक्टर की निगरानी में लाना चाहिए। समय रहते सही इलाज मिल जाए तो स्थिति को संभाला जा सकता है। डॉक्टर आमतौर पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन रोककर शरीर की प्रतिक्रिया को कंट्रोल करने की दवाएं देते हैं।