Edited By Pardeep,Updated: 30 Nov, 2024 06:13 AM
कोरोना महामारी के बाद हार्ट अटैक के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। एम्स में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फार्माकोलॉजी सम्मेलन में विशेषज्ञों ने इसका कारण ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और दिमाग से रिलीज होने वाले कैटेकोलामाइन हार्मोन को बताया।
नेशनल डेस्कः कोरोना महामारी के बाद हार्ट अटैक के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। एम्स में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फार्माकोलॉजी सम्मेलन में विशेषज्ञों ने इसका कारण ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और दिमाग से रिलीज होने वाले कैटेकोलामाइन हार्मोन को बताया। इन दोनों कारकों का हृदय पर गहरा असर पड़ता है, जिससे अचानक कार्डियक अरेस्ट जैसी गंभीर स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।
कैसे होता है हार्ट पर असर?
शरीर में मौजूद एसीई 2 (Angiotensin-converting enzyme 2) हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करता है। कोविड संक्रमण इस रेगुलेटरी स्विच को बदल देता है, जिससे शरीर का संतुलन बिगड़ता है।
- जब ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है, तो दिल की धड़कन तेज हो जाती है।
- इसे नियंत्रित करने के लिए कैटेकोलामाइन हार्मोन रिलीज होते हैं, लेकिन इनकी अधिकता हृदय की पंपिंग क्षमता को बंद कर देती है, जिससे मौत हो सकती है।
- कोविड के कारण शरीर में साइटोकाइन्स और इन्फ्लेमेटरी मार्कर्स अचानक बढ़ जाते हैं। इससे खून गाढ़ा हो जाता है, और हार्ट की नसों पर दबाव बढ़ने से कार्डियक अरेस्ट हो जाता है।
फाइब्रोसिस और लॉन्ग कोविड का प्रभाव
दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति और कार्डियोवास्कुलर साइंसेज की इंटरनेशनल अकेडमी के अध्यक्ष डॉ. रमेश गोयल ने बताया कि कोविड के बाद शरीर में फाइब्रोसिस जैसी स्थितियां बढ़ गई हैं।
- फाइब्रोसिस के कारण हार्ट की मसल्स कमजोर हो जाती हैं।
- इस स्थिति को लॉन्ग कोविड भी कहा जा रहा है, जो हृदय की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है।
- इसके समाधान के लिए जीनोम एनालिसिस और ACE लेवल की नियमित जांच की आवश्यकता है।
डॉ. गोयल ने यह भी कहा कि प्रदूषण और पर्यावरणीय कारक भी हार्ट अटैक के मामलों में इजाफा कर रहे हैं।
अचानक मौतों के पीछे एट्रियल फाइब्रिलेशन
लॉन्ग कोविड के कारण एट्रियल फाइब्रिलेशन (दिल की मांसपेशियों का सही से काम न करना) जैसी स्थितियां पैदा हो रही हैं।
- यह स्थिति हृदय की नसों पर दबाव डालती है, जिससे अचानक मौत का खतरा बढ़ जाता है।
- हार्ट अटैक के लक्षणों को समझने में देर करना भी मौतों की बड़ी वजह है।
55% मरीज लक्षणों को पहचान नहीं पाते: क्या करें?
एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. आनंद कृष्णन ने बताया कि 55% मरीज हार्ट अटैक के लक्षणों को समय पर समझ नहीं पाते और उनकी जान चली जाती है।
लक्षण पहचानने पर तुरंत अस्पताल जाएं:
- अगर छाती में दर्द हो, तो इसे हल्के में न लें।
- सांस लेने में दिक्कत, पसीना आना या कमजोरी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
समस्या से पहले सतर्क रहें:
- पहले से हृदय रोग से पीड़ित लोगों को ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।
- नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह लेते रहें।
कोविड के बाद क्या बदलना चाहिए?
विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड के बाद ACE 2 और रेनिन-एंजियोटेंसिन-एल्डोस्टेरोन प्रणाली को समझने और इलाज के तरीकों में बदलाव की आवश्यकता है।
- फाइब्रोसिस रोकने और हृदय की सुरक्षा के लिए नए इलाज और शोध पर जोर दिया जा रहा है।
- जीवनशैली में सुधार, प्रदूषण से बचाव, और सही समय पर मेडिकल हेल्प लेने से हार्ट अटैक के मामलों को रोका जा सकता है।
हार्ट अटैक से बचाव के उपाय
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और तनाव प्रबंधन करें।
- जांच कराएं: कोविड के बाद हृदय से संबंधित किसी भी असामान्य लक्षण को अनदेखा न करें।
- प्रदूषण से बचाव: मास्क पहनें और प्रदूषण वाले क्षेत्रों में समय कम बिताएं।
- लक्षणों को पहचानें: छाती में दर्द, घबराहट, सांस की दिक्कत जैसे संकेतों को तुरंत समझें।
कोविड महामारी के बाद हृदय स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना जरूरी है। समय पर सही कदम उठाकर जान बचाई जा सकती है।