Edited By Radhika,Updated: 28 Oct, 2025 11:34 AM

प्रदूषण से जंग के बीच दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी की हवा को साफ़ रखने के लिए एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। राजधानी में 1 नवंबर से दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड ऐसे सभी Commercial Goods Vehicles की दिल्ली में एंट्री बैन होगी, जो BS-VI उत्सर्जन मानकों...
नेशनल डेस्क: प्रदूषण से जंग के बीच दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी की हवा को साफ़ रखने के लिए एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। राजधानी में 1 नवंबर से दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड ऐसे सभी Commercial Goods Vehicles की दिल्ली में एंट्री बैन होगी, जो BS-VI उत्सर्जन मानकों का पालन नहीं करते हैं।
प्रदूषण से निपटने की तैयारी
अक्टूबर से जनवरी के बीच दिल्ली-NCR में वायु गुणवत्ता अक्सर खतरनाक स्तर तक गिर जाती है। इसके मुख्य कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआँ, पराली जलाना और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियाँ शामिल हैं। इसी स्थिति से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के आदेश के बाद दिल्ली परिवहन विभाग ने यह निर्देश जारी किया है।

इस बैन का मकसद उन भारी प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को रोकना है जो हवा में पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ाते हैं। BS-VI मानक सख्त उत्सर्जन नियम हैं, जिनका पालन करने वाले वाहन काफी कम प्रदूषण फैलाते हैं।
जानें क्या है नया नियम?
परिवहन विभाग के सार्वजनिक नोटिस के अनुसार:
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1 नवंबर 2025 से केवल BS-VI मानकों का अनुपालन करने वाले वाणिज्यिक मालवाहक वाहनों को ही दिल्ली में प्रवेश की अनुमति मिलेगी।
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यह बैन मुख्य रूप से उन वाहनों के लिए है जो दिल्ली के बाहर पंजीकृत हैं और BS-VI मानकों का पालन नहीं करते हैं।

BS-IV वाहनों को मिली सीमित छूट
दिल्ली के बाहर पंजीकृत BS-IV कर्मशियल गुड्स व्हीकल को फिलहाल एक सीमित समय के लिए छूट दी गई है। ये वाहन 31 अक्टूबर 2026 तक दिल्ली में एंट्री कर सकते हैं। इस तारीख के बाद केवल BS-VI कम्पलायंट वाहन ही दिल्ली में आ पाएंगे।
इन वाहनों को प्रतिबंध से मिलेगी छूट:
दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि कुछ ज़रूरी और कम प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को इस प्रतिबंध से बाहर रखा गया है। इन्हें 'नो एंट्री' नहीं मिलेगी:
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दिल्ली में पंजीकृत सभी Commercial Goods Vehicles।
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BS-VI कम्पलायंट डीजल वाहन (जो नए मानकों का पालन करते हैं)।
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BS-IV डीजल वाहन (फिलहाल 31 अक्टूबर 2026 तक)।
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CNG, LNG और इलेक्ट्रिक वाहन (जो स्वच्छ ईंधन पर चलते हैं)।