Updated: 13 Jun, 2025 05:21 PM

समीक्षकों के अनुसार, यह महज़ एक किताब का लोकार्पण नहीं, बल्कि बिहार की उस रूहानी परंपरा का जश्न होगा जिसे सदियों तक ख़ामोशी से जिया गया लेकिन लिखा बहुत कम गया।
नई दिल्ली। बिहार की रूहानी मिट्टी पर सूफ़ी संतों की मौजूदगी ने जिस तहज़ीब, मुहब्बत और इंसानियत को जन्म दिया, उसे कलमबंद करने की एक बेमिसाल कोशिश, और अब किताब की शक्ल में सामने आई है। चर्चित युवा लेखक और युवा इतिहासकार सय्यद अमजद हुसैन की बहुचर्चित पुस्तक “बिहार और सूफ़ीवाद" का विमोचन 29 जून 2025 को बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑडिटोरियम, सिन्हा लाइब्रेरी रोड, पटना में शाम 4 से 6 बजे के बीच आयोजित एक भव्य समारोह में होगा।
समीक्षकों के अनुसार, यह महज़ एक किताब का लोकार्पण नहीं, बल्कि बिहार की उस रूहानी परंपरा का जश्न होगा जिसे सदियों तक ख़ामोशी से जिया गया लेकिन लिखा बहुत कम गया। अब इस खामोशी को अल्फ़ाज़ दिए हैं सय्यद अमजद हुसैन ने।
कौन होंगे अतिथि?
बताते चलें, विमोचन समारोह में बिहार की बौद्धिक और प्रशासनिक दुनिया की कई नामचीन हस्तियां शरीक होंगी। इनमें लेट्स इंस्पायर बिहार के आईपीएस विकास वैभव, बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष मौलाना गुलाम रसूल बलियावी, पटना नगर निगम के पूर्व मेयर अफ़ज़ल इमाम, सामाजिक कार्यकर्ता राजन सिंह, अंतरराष्ट्रीय कराटे खिलाड़ी मुहम्मद जाबिर अंसारी और राष्ट्रीय सेकुलर मजलिस पार्टी के अध्यक्ष मोहम्मद अशहरुल हक़ जैसे विशिष्ट नाम शामिल हैं। अमजद ने बताया, इनके इलावा बिहार के कई खानकाह के सज्जादानशीन भी हिस्सा लेंगे और अपनी बात रखेंगे।
क्या है पुस्तक में?
पुस्तक "बिहार और सूफ़ीवाद" में लेखक ने बिहार की ख़ानकाही परंपराओं, प्रमुख सूफ़ी संतों, और सामाजिक-सांस्कृतिक बदलावों को गहरे शोध और रूहानी नज़रिया दोनों से देखा है। यह किताब बिहार की उन गलियों की सैर कराती है जहां इबादत के साथ अदब और आपसी सोहार्द भी परवान चढ़ा।
27 अप्रैल 2025 को राजमंगल प्रकाशन से प्रकाशित यह किताब साहित्य, इतिहास, शायरी और अध्यात्म चारों का संगम है। लेखक सय्यद अमजद हुसैन का कहना है, "यह किताब महज़ तारीख़ नहीं, बिहार के रूहानी दिल की धड़कन है।" विमोचन के बाद यह किताब ऑनलाइन और प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं के माध्यम से देशभर में उपलब्ध होगी।
कौन हैं युवा लेखक सय्यद अमजद हुसैन
शेखपुरा जिला, बिहार से ताल्लुक़ रखने वाले लेखक सय्यद अमजद हुसैन ने लेखनी में अपना नाम बहुत जल्द बना लिया। उनकी पूर्व की दो पुस्तकों ने भी पाठकों का खूब प्यार पाया। अमजद ने बताया कि उनका खानदान भी सूफ़ी संतों का खानदान है, जहां आपसी सौहार्द व सद्भाव उनकी खानदानी विरासत है, इसलिए उन्होंने सूफ़ी संतों पर कार्य को तरजीह दी।