Edited By ,Updated: 08 May, 2023 04:23 AM
फ्रांस ने भारत के साथ मित्रता निभाने के लिए किसी दूसरे देश के दबाव का भी विचार नहीं किया और खुलकर भारत के साथ आ गया।
फ्रांस ने भारत के साथ मित्रता निभाने के लिए किसी दूसरे देश के दबाव का भी विचार नहीं किया और खुलकर भारत के साथ आ गया। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है लेकिन चीन इस क्षेत्र पर अपना दावा ये कहकर ठोकता है कि अरुणाचल प्रदेश तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा है और त्वांग मठ उसके लिए महत्वपूर्ण है। चीन इसे अपनी भाषा मेें त्यांगनान भी कहता है यानी दक्षिणी तिब्बत। जब भी भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या कोई बड़ा आदमी अरुणाचल प्रदेश में जाता है तो चीन इसे लेकर बवाल करने लगता है और इस पर सख्त आपत्ति जताता है, जबकि चीन का अरुणाचल से कोई लेना-देना नहीं है, बस वह अपना अवैध दावा ठोकता रहता है।
हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 11 जिलों के नाम भी चीनी भाषा में रखकर एक अंतर्राष्ट्रीय नक्शा जारी किया था जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। अगर किसी देश को भारत के साथ अपने गहरे संबंधों को दिखाना होता है तब वह अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे पर खुलकर भारत के साथ खड़ा होता है, ऐसा कर वह देश यह भी दिखाता है कि वह चीन से ज्यादा महत्व भारत के साथ अपने गठबंधन को देता है। हालांकि कुछ देश चीन के दबाव के कारण भारत के पक्ष में अरुणाचल प्रदेश के बारे में कुछ भी नहीं बोलते हैं।
दुनिया इस समय चीन के खिलाफ एकजुट हो चुकी है क्योंकि चीन जब भी अपनी शक्ति बढ़ाता है तब वह पश्चिमी देशों पर निशाना लगाता है, यानी पैसे कमाने के लिए पश्चिमी देशों का समर्थन और सहयोग भी चीन लेता है और जब वह आॢथक रूप से मजबूत बन जाता है तब वह उन्हीं पश्चिमी देशों को आंखें दिखाता है जिनकी बदौलत चीन आॢथक तौर पर मजबूत देश बना है। इस वजह से पश्चिमी देश अपनी सारी फैक्टरियां और विनिर्माण केंद्र चीन से बाहर निकालकर दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ-साथ भारत में भी स्थानांतरित कर रहे हैं।
हाल ही में फ्रांस ने भारत का साथ देते हुए अरुणाचल प्रदेश में अपनी भूमिका निभाने के लिए बड़ी हिम्मत दिखाई और चीन के खिलाफ इस मुद्दे पर वह भारत के साथ मजबूती से खड़ा दिखा। 28 अप्रैल को भारत में फ्रांसीसी राजदूत इमैनुएल लीनाएन ने अरुणाचल प्रदेश की आधिकारिक यात्रा कर वहां के लैफ्टीनैंट गवर्नर के टी. पटनायक के साथ बातचीत भी की। फ्रांस की इच्छा है कि वह अरुणाचल प्रदेश की प्रगति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।
भारत की स्वाधीनता के बाद यह पहली बार है जब फ्रांस के राजदूत ने अरुणाचल प्रदेश की आधिकारिक यात्रा की है। लैफ्टीनैंट गवर्नर से मिलकर इमैनुएल ने बिना चीन का नाम लिए कहा कि भारत के अरुणाचल प्रदेश की प्रगति में फ्रांस सहयोग करना चाहता है और भारत और फ्रांस किसी भी बाहरी खतरे का सामना मिलकर करने में सक्षम हैं और मजबूती से इसका मुकाबला कर सकते हैं। इस अवसर पर फ्रांसीसी राजदूत इमैनुएल ने कहा कि फ्रांस और भारत लगातार हर वर्ष सांझा थल सेना और नौसेना युद्धाभ्यास करते हैं जिससे दोनों देशों में आपसी समझ और सहयोग बढ़ा है।
इस वर्ष भी हमने वरुण नाम से नौसेना अभ्यास किया था और किसी भी तीसरी शक्ति से मुकाबला करने के लिए हम दिनों-दिन और मजबूत होते जा रहे हंै। इसके साथ ही हम दोनों देश आपसी सहयोग, परस्पर विश्वास और तकनीकी हस्तांतरण जारी रखेंगे। वहीं अमरीकी सीनेट में अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा मानने के बाद चीन उबल पड़ा है, लेकिन अभी तक चीन की तरफ से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई है।