‘भारत जोड़ो यात्रा’ से इतना क्यों डरती है भाजपा

Edited By ,Updated: 27 Dec, 2022 05:24 AM

why is bjp so afraid of  bharat jodo yatra

अगर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को लोकप्रियता का कोई प्रमाण पत्र चाहिए था तो पिछले हफ्ते मोदी सरकार ने वह थमा दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिखकर ‘कोविड दिशा-निर्देश’ का पालन करने की हिदायत दी और ‘कोविड महामारी से...

अगर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को लोकप्रियता का कोई प्रमाण पत्र चाहिए था तो पिछले हफ्ते मोदी सरकार ने वह थमा दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिखकर ‘कोविड दिशा-निर्देश’ का पालन करने की हिदायत दी और ‘कोविड महामारी से देश को बचाने के लिए भारत जोड़ो यात्रा को देशहित में स्थगित करने’ का अनुरोध किया। भारत जोड़ो यात्रा को बंद करवाने की हड़बड़ी में बेचारे मंत्री जी भूल गए कि जब उन्होंने चिट्ठी लिखी उस समय देश में कोई कोविड दिशा-निर्देश लागू ही नहीं थे। उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहा कि उससे दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिपुरा में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया था। 

इस बहाने का भांडा पूरी तरह उसी राजस्थान में फूट गया जिसके सहारे मंत्री जी ने चिट्ठी लिखी थी। राजस्थान भाजपा 1 दिसंबर से प्रदेश में ‘जन आक्रोश यात्रा’ निकाल रही है। मंत्री जी की चिट्ठी के तुरंत बाद भाजपा ने दिल्ली में घोषणा की कि वह राष्ट्र हित में राजस्थान में इस यात्रा को स्थगित कर रही है। लेकिन कुछ ही घंटे बाद राजस्थान की भाजपा ने कहा कि यह यात्रा बदस्तूर जारी रहेगी, चूंकि अभी तक प्रदेश या केंद्र सरकार ने इस बारे में कोई निर्देश जारी नहीं किया है! जनता के सामने पूरा सच आ गया कि कोविड भारत जोड़ो यात्रा में होता है, मगर भाजपा की यात्रा में नहीं। जनता को पुराने मामले भी याद आ गए। फरवरी 2020 में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए अहमदाबाद में बड़ी भीड़ जुटाते समय कोरोना की कोई चिंता नहीं थी, मगर कुछ दिन बाद ही शाहीन बाग को बंद करवाने के लिए कोरोना की दुहाई दी जाने लगी। 

अगले वर्ष 2021 में बंगाल चुनाव के लिए कोरोना गायब हो गया था, लेकिन उन्हीं दिनों किसान आंदोलन को बंद करवाने के लिए कोरोना मौजूद था। जनता को विश्वास हो गया कि हो न हो भारत जोड़ो यात्रा भी इस सरकार के लिए उतना ही बड़ा सिरदर्द बन रही है जितना किसान आंदोलन था। जब-जब सरकार डरती है, तब-तब कोरोना को आगे करती है। जब से भारत जोड़ो यात्रा शुरू हुई है भाजपा को समझ नहीं आ रहा कि इससे कैसे निपटा जाए। शुरू में भाजपा के आई.टी. सैल ने यात्रा पर कीचड़ उछालने की 4-5 कोशिशें कीं। पहले फाइव स्टार कंटेनर का मुद्दा उठाया तो कांग्रेस ने तुरंत पत्रकारों को कंटेनर दिखा कर साबित कर दिया कि भाजपा आई.टी. सैल की तस्वीरें झूठी थीं। 

राहुल गांधी की टी-शर्ट पर छींटाकशी की तो लोगों को मोदी जी का 10 लाख रुपए वाला सूट याद आ गया। बीच में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी द्वारा उज्जैन में की गई आरती को उलटा करार देते हुए आहत हिन्दू भावनाओं की आड़ लेने की कोशिश की तो वीडियो से पता लगा कि मोदी जी और शिवराज चौहान ने भी उसी तरह से आरती की थी। मतलब यह कि हर बार कीचड़ फैंकने वाले के सर पर आकर गिरा। शायद इससे सीख लेकर भाजपा ने चुप्पी की रणनीति बनाई। इशारा करना शुरू किया कि यह यात्रा इस लायक नहीं है कि इस पर टिप्पणी की जाए।

सोचा था कि गुजरात और हिमाचल के चुनाव परिणाम आने पर अपने आप यात्रा फुस्स हो जाएगी, कांग्रेस राजस्थान में अपने ही अंतरविरोध के चलते ढह जाएगी। लेकिन यह रणनीति भी नहीं चली। गुजरात में कांग्रेस की भारी पराजय के बावजूद यात्रा हौसले से राजस्थान में चली, फिर हरियाणा और दिल्ली में भी यात्रा को आशातीत जनसमर्थन मिला। इसलिए अब चुप्पी की रणनीति को छोड़कर भाजपा नेता सीधे-सीधे यात्रा पर हमलावर हो गए हैं। अब बहाना है कि यात्रा ने क्रिसमस की छुट्टी क्यों ली। जब इस यात्रा ने मैसूर के प्रसिद्ध दशहरे के लिए छुट्टी ली तो भाजपा ने कुछ नहीं कहा। जब दीपावली के लिए तीन दिन की छुट्टी ली गई तो भी वह ठीक था। 

क्रिसमस के दिन प्रधानमंत्री देश और दुनिया के नाम ईसा मसीह के गुणों का बखान करते हुए संदेश दें तो ठीक, लेकिन यात्रा अगर इस दिन की छुट्टी करे तो भाजपा के नेताओं को  एतराज होगा। मतलब कि इस यात्रा से बौखलाई भाजपा अब ओछी बयानबाजी पर उतर आई है। उधर मोदी सरकार ने इस यात्रा के असर को बराबर करने के लिए कुछ नीतिगत घोषणाएं भी शुरू कर दी हैं। भारत जोड़ो यात्रा में हर दिन महंगाई का सवाल उठ रहा है। उसका असर कम करने के लिए सरकार ने एक साल के लिए मुफ्त राशन देने की घोषणा की है। 

बेरोजगारी की पीड़ा पर बैंडेड लगाने की नीयत से मनरेगा का बजट भी बढ़ा दिया गया है। सम्भावना है कि आने वाले बजट में सरकार कुछ बड़ी घोषणाएं कर किसान, मजदूर और गरीब के घाव पर मरहम लगाने की कोशिश करेगी। या फिर जनता का ध्यान  इन मुद्दों से भटकाने के लिए किसी और बड़े शगूफे का सहारा लिया जाएगा? ‘फूट डालो और राज करो’ की पुरानी नीति का कोई नया अध्याय खोला जाएगा? 

सवाल यह है कि मोदी सरकार और भाजपा ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से इतनी डरती क्यों है? अगर इस यात्रा को जनसमर्थन नहीं मिल रहा तो इसे रोकने की कोशिश क्यों कर रही है? अगर कांग्रेस अप्रासंगिक है तो उसे इतना भाव क्यों दे रही है? अगर राहुल गांधी अगंभीर नेता हैं तो उन पर हमला क्यों कर रही है? भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी जनता की नब्ज पर हाथ रखते हैं। हर हफ्ते पूरे देश में जनमत का सर्वे करवाते हैं, उसकी गुप्त रिपोर्ट उन्हें पेश की जाती है। जाहिर है उस रिपोर्ट में कुछ है जो प्रधानमंत्री की ङ्क्षचता बढ़ा रहा है। भाजपा नेताओं और प्रवक्ताओं द्वारा बार-बार इस यात्रा को ‘भारत तोड़ो यात्रा’ का नाम देने से जाहिर है कि ‘भारत जोड़ो’ का नारा उन्हें परेशान कर रहा है। 

भाजपा की सबसे बड़ी पीड़ा का कारण है राहुल गांधी की छवि में नाटकीय बदलाव। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से और कुछ हुआ हो या नहीं, राहुल गांधी की पप्पू वाली छवि धुल गई है। अब यह लांछन लगाना संभव नहीं है कि राहुल गांधी उन ‘बाबा लोग’ में से हैं जो ए.सी. से बाहर नहीं निकलते, जो इस देश की धूल-धक्कड़ नहीं झेल सकते, जो आम जनता से मिलते नहीं हैं, उनका दर्द समझते नहीं हैं। पप्पू की छवि टूटने से नरेंद्र मोदी का ब्रह्मास्त्र उनके हाथ से फिसल रहा है। इस छवि की आड़ में प्रधानमंत्री की जो तमाम खामियां छुप जाती थीं अब वे सामने आएंगी।

लोग पूछेंगे कि जो 15 लाख अकाऊंट में आने थे वे कहां गए? हर साल दो करोड़ नौकरियां किसे मिलीं? किसान की आय डबल कब हुई? कोरोना में कितने देशवासी मरे? चीन ने हमारी कितनी जमीन पर कब्जा किया है? जिनके पास इन सवालों का जवाब नहीं है वे भारत जोड़ो यात्रा से बहुत डरे हुए हैं। शायद ‘डरो मत’ का नारा उन्हें बहुत सताता है। वे इस बात से डरते हैं कि लोग उससे डरना बंद कर देंगे।-योगेन्द्र यादव

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