क्या मोदी की बात मानेंगे योगी के मंत्री

Edited By Updated: 22 May, 2022 04:55 AM

will yogi s ministers obey modi

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों को सुशासन के लिए अपनी कार्यशैली में सुधार लाने को कहा है। समाज के अन्तिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचना चाहिए। राजनीतिक रूप से...

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों को सुशासन के लिए अपनी कार्यशैली में सुधार लाने को कहा है। समाज के अन्तिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचना चाहिए। राजनीतिक रूप से आगे बढऩा है तो जनता के सम्पर्क में रहना होगा। इस बात की भी सलाह दी कि अधिकारियों से मित्रवत व्यवहार रखेंगे तो काम जल्दी होगा। प्रधानमंत्री ने बुद्ध पूर्णिमा के दिन लखनऊ आकर मंत्रियों की एक बैठक की थी। 

विधायकों और सांसदों के प्रति मिशन-2022 के दौरान जिस तरह की उदासीनता मतदाताओं में दिखी थी, पार्टी वैसे हालात लोकसभा चुनावों में नहीं चाहती। विधायकों की छवि से पैदा हुई नकारात्मकता दूर करने के लिए ही पार्टी को 104 विधायकों के टिकट काटने पड़े थे, 94 नए चेहरे जीत कर विधायक बने। इसी के मद्देनजर मंत्रियों को नसीहत दी गई कि उन्हें जनता के द्वार रहना है और उनके जीवन की सुगमता का ध्यान रखना है। यही वजह रही कि खुद प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लोगों का जीवन सरल बनाए जाने की बात कही। दरअसल, विधानसभा चुनावों में पार्टी को खुद के पार्टी विधायकों और सांसदों की स्वीकार्यता को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। 

विधानसभा चुनावों में योगी सरकार के 11 मंत्री अपना चुनाव हार गए थे। वास्तव में मंत्री बनने के बाद जनता से आपका सम्पर्क बना हुआ है तो आप कभी चुनाव हार नहीं सकते। यदि आप अपना मंत्री होने का घमंड त्याग कर क्षेत्रीय जनता से मिलते रहेंगे तो जनता भी आपके साथ रहेगी। इसके लिए आपको हुकूमत कम, सरकारी योजनाओं के अमल पर अधिक निगरानी रखनी होगी। कई बार प्रधानों के भेदभाव से आवास, शौचालय, वृद्धावस्था और विकलांग पैंशन जैसी योजनाओं का लाभ गरीबों को मिलने की बजाय सम्पन्न सजातीय बंधुओं को पहले उपलब्ध हो जाता है। ऐसी निगरानी के दौरान जनता से भी उनका सम्पर्क बना रहेगा। 

जनता अपने निर्वाचित राजनीतिज्ञों सेे एक ऐसे वातावरण के निर्माण की अपेक्षा करती है, जहां बच्चे ऊंची और बढिय़ा शिक्षा हासिल करने के लिए स्कूल जाएं, जहां हर किसी को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध हों, जहां व्यवसायी सफलता की हर मुमकिन ऊंचाइयों को छू सकें और हर योग्य व्यक्ति के लिए अच्छी कमाई वाले रोजगारों के अवसर पैदा हो सकें। हमें एक ऐसी सरकार चाहिए जो हमारी संस्थाओं की ताकत, हमारे बाजारों की शक्ति के साथ-साथ उच्च स्तरीय गुणवत्ता समाधानों का निर्माण करने वाले लोगों के परिश्रम का लाभ उठाए। जातीय असमानताओं, धार्मिक मतभेद और आरक्षण की छाप वाली भारतीय राजनीति, अतीत की राजनीति है। भविष्य की राजनीति एक सवा अरब आकांक्षाओं को पूरा करने की राजनीति होगी, जिसमें असफलता का अर्थ सर्वनाश है। 

उत्तर प्रदेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वह अपने 24 करोड़ से भी अधिक नागरिकों को उनकी आकांक्षाएं पूरा करने के कैसे सक्षम बनाए। कई क्षेत्रों में कामकाज की पुराने ढर्रे की शैली हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधक बनी हुई है। आर्थिक उदारीकरण के वर्तमान युग में, खासतौर से हमारी नौकरशाही का पुराना रवैया नहीं बदल रहा, जो हर काम में सिर्फ अड़ंगा लगाना ही जानती है। तेजी से बदलती दुनिया में अब नौकरशाही की भूमिका अवरोधक की जगह उत्प्रेरक की हो गई है, पर वह सुधरने के लिए तैयार नहीं। उदारीकरण की ठंडी हवा ने भारत के लोगों में एक नई सोच का संचार किया है। उन्हें एक ऐसी व्यवस्था की चाहत है जो गरीबी से बाहर निकलने की उनकी कोशिशों में उन्हें सहयोग दे और उनके साथ-साथ उनके बच्चों के उज्जवल भविष्य को भी सुनिश्चित करें। 

‘रोजमर्रा का काम’ वाली सामान्य नियमावली को अब खिड़की से बाहर फैंक देना चाहिए। उन अधिकारियों को मिला कर बनी नौकरशाही, जो सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रिया विशेषज्ञ हैं, बड़ी और जटिल परियोजनाओं को नहीं संभाल सकेगी, जिनसे हमारी सरकार को निपटने की आवश्यकता है। हालांकि इनमें कई प्रतिभावान, मेहनती और ईमानदार अधिकारी भी हैं, इसलिए हमें व्यवस्था की खामियों को भी समझना होगा। जैसे कि एक अटल पदानुक्रम जो वरिष्ठता के अनुसार तरक्की देता है। 

क्षेत्रीय लड़ाइयों, उलझनों के प्रति पूर्वाग्रह, कम अवधि का कार्यकाल, अल्पकालीन दृष्टि बनाता है। यह सोच कि बड़े बजट के साथ अधिकाधिक लोगों पर हुक्म चलाना ही असली ताकत है, ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था तेजी से बदलती हुई दुनिया में जनता की छाती पर अब बोझ बन गई है। इसे बदलना ही होगा। लेकिन मोदी और योगी के पुण्य प्रताप से चुनाव जीत कर आए हमारे अधिसंख्य मंत्रियों और विधायकों की रुचि भी लगता है अपने क्षेत्र में सरकारी योजनाओं के अमल पर निगरानी की बजाय ठेका पट्टी और कमीशनबाजी में ही अधिक रहती है। इससे जनता में उनकी लोकप्रियता घटती है और वे नौकरशाही पर भी लगाम नहीं लगा पाते। 

इसीलिए प्रधानमंत्री को मंत्रियों से कहना पड़ा कि आप सब लोगों का मकसद होना चाहिए कि कैसे जनता तक आपके विभाग की योजनाओं का लाभ मिले। न कोई भूखा रहे न कोई बीमार रहे...। इस उद्देश्य के साथ काम करना है। प्रधानमंत्री ने मंत्रियों को नसीहत देते हुए कहा कि कामकाज का तरीका बदलें। अगर कुछ करना है तो बदलना होगा। जनता को समय दें और जनता के बीच जाओ। जनता के साथ रहो। पानी कैसे बचे, देश-प्रदेश सुन्दर कैसे हो, सोचो और करो। सभी को पी.एम. ने फिट रहने की सीख दी। कहा कि घर और आफिस अलग रखो। चाहे हार हो या जीत, झूठ मत बोलो। यह गांठ बांध लें कि परिवार के सदस्य को साथ न रखें। उन्होंने कहा कि अपने आपको सुधारें। बस अब यही देखना है कि योगी के मंत्री प्रधानमंत्री मोदी की सलाहों को मान कर उन पर कितना अमल करते हैं।-निरंकार सिंह

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