15 साल की लड़ाई के बाद मिली जीत! SBI को देना होगा ₹1.7 लाख का मुआवजा, जानें पूरा मामला

Edited By Updated: 13 Nov, 2025 03:09 PM

15 year battle has ended in victory sbi will have to pay 1 7 lakh

अगर बैंक ने कभी आपसे गलत चार्ज वसूला है, तो दिल्ली की इस महिला ग्राहक की कहानी आपके लिए प्रेरणा बन सकती है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने उनसे महज ₹4,400 के गलत ECS बाउंस चार्ज वसूले थे लेकिन 15 साल की कानूनी लड़ाई के बाद वही बैंक अब ₹1.7 लाख मुआवजा...

बिजनेस डेस्कः अगर बैंक ने कभी आपसे गलत चार्ज वसूला है, तो दिल्ली की इस महिला ग्राहक की कहानी आपके लिए प्रेरणा बन सकती है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने उनसे महज ₹4,400 के गलत ECS बाउंस चार्ज वसूले थे लेकिन 15 साल की कानूनी लड़ाई के बाद वही बैंक अब ₹1.7 लाख मुआवजा देने के लिए मजबूर हो गया है।

मामला क्या था?

साल 2008 में दिल्ली की एक महिला ने HDFC बैंक से ₹2.6 लाख का कार लोन लिया था। EMI भुगतान के लिए उन्होंने SBI के करवाल नगर ब्रांच में अपने सेविंग अकाउंट से ECS ऑटो-डिडक्शन सुविधा एक्टिव की थी। EMI 7,054 रुपए प्रति माह थी लेकिन बैंक ने 11 बार EMI बाउंस दिखाकर हर बार ₹400 के हिसाब से कुल ₹4,400 काट लिए। महिला का कहना था कि उनके खाते में हर बार पर्याप्त बैलेंस था, फिर भी बैंक ने ECS को अस्वीकृत दिखाया। उन्होंने बैंक स्टेटमेंट दिखाकर अपनी बात साबित की लेकिन बैंक ने कोई कदम नहीं उठाया।

15 साल लंबी कानूनी लड़ाई

महिला ने 2010 में जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत की लेकिन वहां से मामला खारिज कर दिया गया। उन्होंने हार नहीं मानी और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (NCDRC) का दरवाजा खटखटाया। NCDRC ने इसे दोबारा सुनवाई के लिए दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग को भेजा। आखिरकार, 9 अक्टूबर 2025 को आयोग ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया।

SBI का बचाव और आयोग की टिप्पणी

SBI ने कहा कि EMI न कटने की वजह ECS मैंडेट में गलती थी। हालांकि आयोग ने इसे “अतार्किक तर्क” बताते हुए खारिज कर दिया। आयोग ने कहा, अगर फॉर्म में गलती थी, तो बाकी महीनों की EMI उसी फॉर्म से कैसे कट गई? साथ ही बैंक कोई सबूत नहीं दे पाया कि किसी महीने ग्राहक के खाते में बैलेंस कम था।

आयोग का फैसला

दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने SBI को सेवा में कमी का दोषी ठहराया और आदेश दिया कि बैंक महिला को:

  • ₹1,50,000 मानसिक उत्पीड़न व तनाव के लिए
  • ₹20,000 मुकदमेबाजी की लागत के रूप में दे
  • यह राशि 3 महीने में चुकानी होगी, वरना 7% वार्षिक ब्याज देना पड़ेगा।

आम ग्राहकों के लिए सबक

यह केस उन लाखों बैंक ग्राहकों के लिए उदाहरण है जो गलत चार्ज या सेवा की कमी का सामना करते हैं। अगर आपके पास सबूत और सच्चाई है, तो बैंक चाहे कितना भी बड़ा हो, जवाबदेह ठहराया जा सकता है।

अगर आपके खाते से कोई गलत चार्ज काटा जाए...

  • तुरंत लिखित शिकायत दर्ज करें,
  • बैंक स्टेटमेंट सुरक्षित रखें,
  • और जरूरत पड़ने पर उपभोक्ता आयोग में शिकायत करें।

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!