डिजिटल अर्थव्यवस्था का 2028-29 तक GDP में 25% अंशदान: कामत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Feb, 2023 06:29 PM

digital economy to contribute 25 of gdp by 2028 29 kamat

राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण एवं विकास बैंक (नैबफिड) के प्रमुख के वी कामत का मानना है कि वित्त वर्ष 2028-29 तक देश के बढ़े हुए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में डिजिटल क्षेत्र का योगदान 25 प्रतिशत तक होगा। उस समय तक देश की अर्थव्यवस्था के 7,000 अरब डॉलर...

मुंबईः राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण एवं विकास बैंक (नैबफिड) के प्रमुख के वी कामत का मानना है कि वित्त वर्ष 2028-29 तक देश के बढ़े हुए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में डिजिटल क्षेत्र का योगदान 25 प्रतिशत तक होगा। उस समय तक देश की अर्थव्यवस्था के 7,000 अरब डॉलर पर पहुंच जाने की भी उम्मीद है। अभी डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान चार प्रतिशत से कम है, जबकि चीन में यह 40 प्रतिशत तक है। सरकार और योजनाकारों का मानना है कि वित्त वर्ष 2028-29 तक जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अभी भारतीय अर्थव्यवस्था 3,300 अरब डॉलर है। इसके उस समय तक 7,000 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है। 

प्रसिद्ध बैंकर कामत ने 'पीटीआई-भाषा' के साथ बातचीत में कहा, "डिजिटल अर्थव्यवस्था- डिजिटल बुनियादी ढांचा, ई-कॉमर्स और अन्य डिजिटल भुगतान और सेवा खंड- देश की वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। वित्त वर्ष 2028-29 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 7,000 अरब डॉलर होगा। इसमें डिजिटल अर्थव्यवस्था का हिस्सा 25 प्रतिशत होगा जो फिलहाल चार प्रतिशत से कम है।" आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व चेयरमैन कामत ने कहा, ‘‘चीन की अर्थव्यवस्था का 40 प्रतिशत आज डिजिटल क्षेत्र से आता है और मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि हम इसे हासिल न कर सकें।'' 

नैबफिड के चेयरमैन कामत का मानना है कि बुनियादी ढांचा निवेश को आगे बढ़ाने से रोकने की कोई वजह नहीं है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में एक्सप्रेसवे, राजमार्ग, हवाई अड्डे, बंदरगाह और द्रुत गति की रेल के लिए बहुत गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि शहरी कायाकल्प की और परियोजनाएं हो सकती हैं। इसे सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित करने की कोई वजह नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्वस्तरीय शहर बनाने चाहिए और मौजूदा शहरों का भी उन्नयन करना चाहिए।" कामत ने कहा कि अगले पांच साल में भारतीय अर्थव्यवस्था दोगुनी होकर 7,000 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगी। ऐसे में हमें अर्थव्यवस्था की मांग को पूरा करने के लिए अधिक एक्सप्रेसवे, और हवाई अड्डों तथा बंदरगाहों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता में फिर गिरावट की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि बैंक बुनियादी ढांचा वित्तपोषण का अभिन्न अंग बने रहेंगे लेकिन दीर्घावधि के कोष के लिए हमें और स्रोतों को भी देखने की जरूरत है।
 

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