EPFO को 2021 में असंगठित क्षेत्र को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने को करने होंगे भगीरथ प्रयास

Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Dec, 2020 04:53 PM

epfo will have to make efforts to provide social security

असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ से अधिक कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना, मौजूदा योजनाओं को नए स्वरूप में ढालना और नई नियुक्तियों में तेजी लाना जैसे कुछ मुद्दे हैं जो कि सेवानिवृति लाभ उपलब्ध कराने

नई दिल्लीः असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ से अधिक कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना, मौजूदा योजनाओं को नए स्वरूप में ढालना और नई नियुक्तियों में तेजी लाना जैसे कुछ मुद्दे हैं जो कि सेवानिवृति लाभ उपलब्ध कराने वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के समक्ष 2021 में चुनौती बनकर खड़े होंगे। 

ईपीएफओ वर्तमान में संगठित क्षेत्र के छह करोड़ से अधिक कर्मचारियों को भविष्य निधि कोष और कर्मचारी पेंशन योजना के तहत सामाजिक सुरक्षा का लाभ उपलब्ध कराता है। नए साल में संगठन को सरकार की महत्वकांक्षी आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) को लागू करने पर ध्यान देते हुए सेवाओं की सुपुर्दगी में सुधार लाने के लिए भगीरथ प्रयास करने होंगे। सामाजिक सुरक्षा संहिता के अगले साल एक अप्रैल से लागू होने की उम्मीद है। ऐसे में ईपीएफओ को अपनी योजनाओं और सेवाओं को नए माहौल के अनुरूप ढालना होगा क्योंकि इससे असंगठित क्षेत्र के कामगार भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ जाएंगे। 

देश में 40 करोड़ से ज्यादा असंगठित क्षेत्र के कामगार हैं जो कि किसी प्रतिष्ठान अथवा कंपनी के वेतन रजिस्टर में नहीं आते हैं और उन्हें भविष्य निधि और ग्रेच्युटी जैसे लाभ प्राप्त नहीं हैं। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के पूर्व महासचिव ब्रिजेश उपाध्याय ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा संहिता के अमल में आने पर ईपीएफओ के समक्ष 2021 में नई चुनौतियां सामने आएंगी। उन्होंने कहा, ‘‘असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए अपनी योजनाओं और नेटवर्क का दायरा बढ़ाना होगा। इन कर्मचारियों को संहिता के तहत सामाजिक सुरक्षा लाभ उपलब्ध होंगे।'' 

उपाध्याय ईपीएफओ ट्रस्ट में ट्रस्टी भी हैं। उनका कहना है कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए ईपीएफओ को अपनी योजनाओं और सेवाओं को नया रूप देना होगा। इससे पहले यह सवाल उठाया गया था कि असंगठित क्षेत्र के मामले में भविष्य निधि जैसी सामाजिक सुरक्षा योजना में नियोक्ता के हिस्से का योगदान कौन करेगा। अब यह कहा गया है कि यह हिस्सा या तो सरकार की तरफ से दिया जाएगा अथवा असंगठित क्षेत्र के कामगार ऐसी योजनाओं में शामिल हो सकते हैं जिनमें केवल उनकी तरफ से ही योगदान किया जाएगा। 

श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा, ‘‘2021 में ईपीएफओ का मुख्य ध्यान आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) पर होगा जिसके तहत नई नियुक्तियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।'' अपूर्व चंद्र ईपीएफओ के शीर्ष निकाय सेंट्रल बोर्ड आफ ट्रस्टी के उपाध्यक्ष भी हैं। चंद्रा ने कहा, ‘‘सेवाओं की डिलीवरी के लिए अन्य प्रयास भी जारी रहेंगे लेकिन मुख्य ध्यान एबीआरवाई के तहत रोजगार सृजन पर होगा।'' इस माह की शुरुआत में केन्द्र सरकार ने एबीआरवाई को मंजूरी दी। इस योजना का मकसद आत्मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 के तहत औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देना है। योजना के तहत 2020 से 2023 के बीच 22,810 करोड़ रुपए जारी किए जाएंगे। चालू वित्त वर्ष के दौरान इसमें कुल 1,584 करोड़ रुपए जारी किए जाएंगे। 

एबीआरवाई योजना के तहत एक अक्टूबर 2020 से लेकर 30 जून 2021 की अवधि में काम पर रखे जाने वाले नए कर्मचारियों के लिए सरकार भविष्य निधि में उनके कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की तरफ से दिए जाने वाले 12 प्रतिशत योगदान का भुगतान करेगी। 24 प्रतिशत की यह कुल राशि कर्मचारी भविष्य निधि कोष में दो साल तक सरकार जमा करायेगी। यह योजना उन प्रतिष्ठानों में लागू होगी जिनमें एक हजार तक लोग काम करते हैं। ऐसे संस्थानों जहां 1,000 से अधिक कर्मचारी हैं उनके मामले में सरकार केवल कर्मचारी का ही 12 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि कोष में जमा कराएगी। इस योजना को अमल में लाने के लिए ईपीएफओ एक साफ्टवेयर विकसित करेगा ताकि मिलने वाले लाभ में कहीं कोई गड़बड़ी नही हो। 

श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने इस माह की शुरुआत में कहा कि ईपीफओ के तहत 52 लाख कर्मचारियों को कोविड-19 राहत योजना के तहत 13,300 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई। भविष्य निधि से दी गई यह राशि वापस नहीं करनी होगी। कोरोना वायरस महामारी फैलने और लॉकडाउन के दौरान कारखाने और फैक्टरियां बंद होने की वजह से लोगों को जीविका चलाने के लिए ईपीएफओ से धनरशि निकालने की अनुमति दी गई थी। ईपीएसफओ ने वर्ष 2019- 20 के लिए भविष्य निधि कोष पर 8.5 प्रतिशत ब्याज देने का फैसला किया है। हालांकि, यह दर पिछले सात साल में सबसे कम है। चालू वित्त वर्ष के लिए कितना ब्याज दिया जाएगा इस पर भविष्य निधि संगठन का ट्रस्टी बोर्ड आने वाले दिनों में बैठक करेगा।

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