FCI ने ई-नीलामी के छठे दौर में थोक उपभोक्ताओं को खुले बाजार में बेचा 4.91 लाख टन गेहूं

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Mar, 2023 01:54 PM

fci sold 4 91 lakh tonnes of wheat in the open market to bulk consumers

गेहूं और गेहूं आटे की कीमतों को काबू में लाने के मकसद से सरकारी स्वामित्व वाली एफसीआई (FCI) ने ई-नीलामी के छठे दौर में आटा चक्की जैसे थोक उपभोक्ताओं को 4.91 लाख टन गेहूं बेचा है। केंद्र ने खुदरा कीमतों को कम करने के लिए खुली बाजार बिक्री योजना...

नई दिल्लीः गेहूं और गेहूं आटे की कीमतों को काबू में लाने के मकसद से सरकारी स्वामित्व वाली एफसीआई (FCI) ने ई-नीलामी के छठे दौर में आटा चक्की जैसे थोक उपभोक्ताओं को 4.91 लाख टन गेहूं बेचा है। केंद्र ने खुदरा कीमतों को कम करने के लिए खुली बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत 50 लाख टन गेहूं की बिक्री की घोषणा की है, जिसमें से 45 लाख टन थोक उपयोगकर्ताओं के लिए निर्धारित किया गया है।

एक सरकारी बयान के अनुसार, भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने 15 मार्च को छठे दौर की ई-नीलामी आयोजित की थी। इसमें कहा गया है, ‘‘एफसीआई के 23 क्षेत्रों में 611 डिपो से कुल 10.69 लाख टन गेहूं की पेशकश की गई और 970 बोलीदाताओं को 4.91 लाख टन गेहूं बेचा गया।’’ ई-नीलामी के छठे दौर के बाद, ओएमएसएस के तहत गेहूं की संचयी बिक्री 45 लाख टन के कुल आवंटन के मुकाबले 33.77 लाख टन तक पहुंच गई है।

बयान में कहा गया है, ‘‘इस बिक्री ने पूरे देश में गेहूं और आटे की कीमत को नरम करने में महत्वपूर्ण असर डाला है….’’

सरकार के खुले बाजार में गेहूं बेचने के फैसले से आटा हुआ 6-8 रुपए किलो सस्ता

रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (RFMFI) ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं बेचने के फैसले के बाद पिछले दो माह में गेहूं और आटे की कीमतों में 6-8 रुपए प्रति किलो की कमी आई है। एसोसिएशन ने कहा कि फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन लगभग 10.6-11 करोड़ टन रहने का अनुमान है।

एक बयान के अनुसार, इसने यह भी मांग की कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान गेहूं आटा, मैदा और सूजी सहित गेहूं और गेहूं उत्पादों पर निर्यात प्रतिबंध जारी रहना चाहिए। आरएफएमएफआई ने कहा कि 25 जनवरी को खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) शुरू करने के सरकार के फैसले के चलते पूरे देश में गेहूं और गेहूं उत्पादों की कीमतों में 600-800 रुपए प्रति क्विंटल की कमी आई है।

रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अनुसार, मौजूदा समय में आटे की कीमतें 2,600-3,000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रही हैं, जबकि जनवरी, 2023 के मध्य में यह 3,400-3,800 रुपए प्रति क्विंटल थी। कीमतों को नरम करने के लिए केंद्र 50 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेच रहा है। इसमें से 45 लाख टन आटा चक्की सहित थोक उपभोक्ताओं के लिए है।

महासंघ ने कहा कि आगामी सत्र के लिए गेहूं की फसल के चल रहे सर्वेक्षण के अपने प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, गेहूं की खेती का रकबा लगभग 343.23 लाख हेक्टेयर है। गर्मियों की शुरुआत के बावजूद महासंघ को 10.6 करोड़ टन और 11 करोड़ टन के बीच रिकॉर्ड फसल उत्पादन होने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि गेहूं की कीमतों में गिरावट के साथ इसके रिकॉर्ड उत्पादन के कारण सरकार 340 लाख टन गेहूं खरीद के अपने लक्ष्य को पूरा करने में सफल होगी।

बाजार में गेहूं की घरेलू उपलब्धता कम होने के कारण जनवरी, 2023 में गेहूं की घरेलू कीमतें 3,200-3,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गई थीं। उसके बाद केंद्र ने बढ़ती कीमतों पर काबू के लिए खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) की घोषणा की। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कुमार एस ने कहा, ‘‘व्यापक विचार-विमर्श के बाद भारत सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के केंद्रीय पूल स्टॉक में मामूली भंडार होने के बावजूद गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों पर अंकुश के लिए 50 लाख टन गेहूं बेचने की अनुमति दी थी।

उन्होंने कहा कि केंद्र के समय पर हस्तक्षेप से न केवल गरीब, निम्न और मध्यम वर्ग को राहत मिली है, बल्कि ब्रेड और बिस्कुट सहित कई तरह के उद्योगों को भी राहत मिली है। कुमार ने कहा, ‘‘मौजूदा समय में थोक बिक्री बाजार में जिन राज्यों में मांग के अनुरूप केंद्रीय पूल से गेहूं निकाला गया है, वहां गेहूं की दर घटकर 23-24 रुपए प्रति किलोग्राम रह गई है, जबकि जिन राज्यों में गेहूं उतारे जाने की प्रक्रिया चल रही है वहां भाव 24-25 रुपए प्रति किलोग्राम रह गया है। अगर सरकार ने समय पर हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो कीमतें 40-45 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच जातीं।’’
 

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